सूर्य सप्तमी पर 688 बच्चों ने 42 हजार 175 सूर्यनस्कार किए

खाजूवाला, आदर्श विद्या मंदिर खाजूवाला में सूर्यसप्तमी के अवसर पर कक्षा तृतीया से दसमी तक 688 भैया बहिनो ने 42 हजार 175 सूर्यनमस्कार किए।
प्रधानाचार्य शंकरलाल राजपुरोहित ने अपने उद्धबोधन में कहा कि सूर्य और चंद्रमा प्रत्यक्ष देव माने जाते है अन्य देवता अदृश्य रूप से पृथ्वी और स्वर्ग में विचरण करते है परन्तु सूर्य को साक्षात देखा जा सकता है। इस पृथ्वी पर सूर्य जीवन का सबसे बड़ा कारण है। प्राचीन काल से ही कई सभ्यताओ और धर्मो में सूर्य को वन्दनीय देवता माना जाता है। सूर्य की रोग शमन शक्ति का उल्लेख वेदों, पुराणों योगशास्त्र आदि में किया गया है। आरोग्यकारक शरीर को प्राप्त करने के लिए अथवा शरीर को निरोग रखने के लिए सूर्यसप्तमी के दिन सूर्य की उपासना के अनेकानेक कृत्य कई प्रयोजनों एवं प्रकारों से किये जाते है। प्रात:कालीन सूर्यनमस्कार व्यायाम करने से भैया बहिनो में शारीरिक क्षमता व बुद्धि में वृद्धि होती है।