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दो अहम सीट (भुवनेश्वर) और (पुरी) पर आकर अटकी बात

R. खबर ब्यूरो : ओडिशा में BJD और BJP के बीच लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत फिलहाल टाल दी गई है। ऐसे में अब अटकलें लगाई जा रही हैं BJP आगामी लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव में ओडिशा से बगैर किसी गठबंधन के लड़ेगी। दिल्ली में BJD और BJP के बीच गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत, दो अहम सीट भुवनेश्वर और पुरी की वजह से नहीं बन पाई।
शुक्रवार शाम को भुवनेश्वर लौटने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ ओडिशा में सभी 147 विधानसभा और 21 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा द्वारा उम्मीदवार खड़े करने की संभावना का संकेत दिया। हालांकि सामल ने कहा कि दिल्ली में चर्चा पूरी तरह से आगामी चुनावों की तैयारियों पर केंद्रित थी। जिसमें गठबंधन या सीट-बंटवारे की व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं था।

प्रदेशाध्यक्ष सामल ने कहा कि फिलहाल राज्य में किसी के साथ कोई गठबंधन की बात नहीं है। हम चुनाव में अकेले ही लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अपनी तैयारियों पर केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा करने के लिए दिल्ली गए थे। बैठक के दौरान किसी भी पार्टी से गठबंधन या सीट बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई। भाजपा दोनों चुनाव अपने बल पर लड़ेगी।
बता दें कि बातचीत में स्पष्ट रुकावट ने अटकलों को हवा दे दी है। खासकर 15 साल पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बीजेडी के अलग होने के ऐतिहासिक संदर्भ को देखते हुए। पूर्व बीजेपी नेता और मंत्री सुषमा स्वराज ने तब भविष्यवाणी की थी कि बीजेडी के नेता नवीन पटनायक को 11 साल के समझौते के बाद संबंध तोड़ने पर अफसोस होगा।

चुनाव सीटों का गणित:-
सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन की बातचीत में मुख्य रूप से सीट-बंटवारे के अनुपात को लेकर समस्या आई थी। हालांकि दोनों पार्टियां शुरू में चुनाव पूर्व गठबंधन के विचार पर सहमत थीं। लेकिन सीटों के बंटवारे पर असहमति उभरी। BJD ने 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की। यह प्रस्ताव भाजपा को स्वीकार नहीं था।
इसके विपरीत, भाजपा ने ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें मांगी। जिसे बीजद ने खारिज कर दिया। सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध बढ़ गया और दोनों दल अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। 2019 के आम चुनावों में बीजद ने 12 सीटें हासिल की थीं। जबकि भाजपा ने कुल 21 में से आठ सीटें जीती थीं।
चनाव से पहले राज्य बनाम केंद्रीय नेतृत्व:-
सामल के नेतृत्व में ओडिशा भाजपा नेताओं ने गठबंधन पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय नेताओं के साथ तीन दिनों तक दिल्ली में कई बैठकें की। हालांकि, इस बैठक से कोई निर्णायक निर्णय नहीं निकल सका। ऐसा प्रतीत होता है कि 5 मार्च को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य यात्रा के बाद गठबंधन वार्ता की गतिशीलता बदल गई है। जबकि ओडिशा भाजपा नेतृत्व के कुछ वर्ग कथित तौर पर गठबंधन के विचार के साथ हैं। सामल सहित अन्य अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा दोहराई।
आगे की चर्चा के लिए सामल और पार्टी के अन्य पदाधिकारी कल रात भुवनेश्वर में एक अन्य भाजपा नेता के आवास पर एकत्र हुए। बीजद के वीके पांडियन और प्रणब प्रकाशदास, जो भाजपा के केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा के लिए चार्टर्ड फ्लाइट से गुरुवार शाम को दिल्ली पहुंचे थे। अब राज्य की राजधानी लौट आए हैं।

सामल के नेतृत्व में ओडिशा भाजपा नेताओं ने गठबंधन पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय नेताओं के साथ तीन दिनों तक दिल्ली में कई बैठकें कीं। हालांकि, इस बैठक से कोई निर्णायक निर्णय नहीं निकल सका।

ऐसा प्रतीत होता है कि 5 मार्च को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य यात्रा के बाद गठबंधन वार्ता की गतिशीलता बदल गई है। जबकि ओडिशा भाजपा नेतृत्व के कुछ वर्ग कथित तौर पर गठबंधन के विचार के साथ हैं, सामल सहित अन्य, अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा दोहराई।
आगे की चर्चा के लिए सामल और पार्टी के अन्य पदाधिकारी कल रात भुवनेश्वर में एक अन्य भाजपा नेता के आवास पर एकत्र हुए। बीजद के वीके पांडियन और प्रणब प्रकाश दास, जो भाजपा के केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा के लिए चार्टर्ड फ्लाइट से गुरुवार शाम को दिल्ली पहुंचे थे, अब राज्य की राजधानी लौट आए हैं।