R.खबर ब्यूरो। इस साल भी दीपावली पर्व की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ठीक पिछले वर्ष (2024) की तरह इस बार भी दो तिथियों — 20 और 21 अक्टूबर — के बीच दुविधा गहराती जा रही है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर–जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली रात्रिकालीन पर्व है, और इसका पूजन स्थिर लग्न में प्रदोष व निशीथ काल के दौरान किया जाता है।
इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:45 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी।
डॉ. व्यास के अनुसार, चूंकि 20 अक्टूबर की शाम (प्रदोष काल) में अमावस्या तिथि रहेगी, इसलिए 20 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रानुकूल और शुभ माना गया है।
क्यों 21 अक्टूबर पर भी बनी हुई है स्थिति स्पष्ट नहीं:-
दूसरी ओर, 21 अक्टूबर को भी अमावस्या तिथि शाम 5:55 बजे तक रहेगी, जो उदयव्यापिनी तिथि है — शास्त्रों के अनुसार यह भी पूजन के लिए मान्य होती है।
हालांकि, धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार जब अमावस्या प्रदोष काल में दो दिन रहती है, तो दीपोत्सव दूसरे दिन भी मनाया जा सकता है। लेकिन चूंकि इस बार अमावस्या 20 अक्टूबर के प्रदोष काल में लग रही है, इसलिए 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी-गणेश पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त माना जा रहा है।
डॉ. अनीष व्यास का मत:-
“दीपावली पर्व का कर्मकाल प्रदोष काल में बताया गया है। 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि रहेगी, इसलिए यही दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए सर्वोत्तम रहेगा। 21 अक्टूबर को पितृ कार्यों हेतु स्नान और दान की अमावस्या रहेगी,”
— ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास
पंचांग गणना:-
- अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर दोपहर 3:45 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक
- निशीथ काल: 20 अक्टूबर की रात्रि
- उदयव्यापिनी तिथि: 21 अक्टूबर (स्नान-दान अमावस्या)
दीपोत्सव का 6 दिवसीय पर्व:-
- 18 अक्टूबर: धनतेरस
- 19 अक्टूबर: रूप चतुर्दशी
- 20 अक्टूबर: दीपावली (लक्ष्मी पूजन)
- 21 अक्टूबर: स्नान-दान अमावस्या
- 22 अक्टूबर: गोवर्धन पूजा (अन्नकूट उत्सव)
- 23 अक्टूबर: भाई दूज
20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त:-
प्रदोष काल: शाम 5:50 बजे से रात 8:24 बजे तक
वृषभ लग्न (स्थिर लग्न): शाम 7:19 बजे से रात 9:16 बजे तक
पिछले वर्ष जैसी स्थिति फिर:-
पिछले वर्ष 2024 में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। तब अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 बजे से 1 नवंबर शाम 6:16 बजे तक रही थी और अधिकांश लोगों ने 31 अक्टूबर की प्रदोष कालीन रात में ही लक्ष्मी पूजन किया था। इस वर्ष भी वही परंपरा दोहराए जाने के संकेत मिल रहे हैं।

