भारत-पाक सीमा पर पहली बार तैनात की गई ड्रोन आर्मी, अभ्यास त्रिशूल के दौरान देखी गई कार्रवाई, पढ़े पूरी खबर
R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, भारत-पाक सीमा पर अब सुरक्षा का नया अध्याय शुरू हो गया है। जैसलमेर के पास पहली बार भारतीय सेना ने ड्रोन आर्मी तैनात की है। यह तैनाती सेना के विशेष सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ के दौरान देखी गई, जहां ड्रोन ने आसमान से छोटे बम दागकर निर्धारित लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट किया।
हर फौजी के पास ‘चील जैसी नजर’:-
सेना ने इस अभियान के साथ नया नारा दिया है — “हर फौजी के पास चील जैसी नजर होगी।” ड्रोन अब सीमा पर तैनात जवानों के लिए अतिरिक्त आंख और ताकत बनेंगे। ये पूरी तरह ‘मेक-इन-इंडिया’ तकनीक पर आधारित हैं — स्वदेशी डिजाइन और उत्पादन के साथ तैयार किए गए।
दक्षिणी कमान बना ‘ड्रोन-हब’:-
दक्षिणी कमान ने ड्रोन प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाते हुए ड्रोन-हब की स्थापना की है, जहां बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट में EME कोर और MSME प्रमुख साझेदार हैं।
तीन प्रमुख भूमिकाएं निभा रहे ड्रोन:-
- निगरानी (Surveillance)
- प्रिसीजन स्ट्राइक (Precision Strike)
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare)
सटीकता और लचीलापन पर सफल परीक्षा:-
‘त्रिशूल’ अभ्यास में इन ड्रोन की सटीकता, उड़ान क्षमता और फ्लेक्सिबिलिटी की पूरी जांच की गई, जिसमें सभी ने अपेक्षित प्रदर्शन किया। सेना ने बताया कि परीक्षण के परिणाम आशाजनक रहे और सभी मानकों पर सफलतापूर्वक खरे उतरे।
आत्मनिर्भर भारत की तकनीकी शक्ति को नया बल:-
यह प्रोजेक्ट ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को नई तकनीकी दिशा, रोजगार और रक्षा उत्पादन में भागीदारी के अवसर मिल रहे हैं। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल भविष्य की सीमाओं पर युद्ध क्षमता को नई परिभाषा देने जा रही है।

