राजस्थान हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी, बात करते विजन-2047 की…जरूरत आज की, कहां है प्लान?

R.खबर ब्यूरो। जयपुर, राजस्थान हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों के मामले में सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि 2047 के विजन की बात की जा रही है, लेकिन प्लान कहां है? कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि जरूरत आज की है, बच्चे कल तक इंतजार नहीं करेंगे। आने वाले वर्षों में कितने स्कूल और कॉलेजों की आवश्यकता होगी, क्या इस पर कोई अध्ययन किया गया है? कोर्ट ने कहा कि कागज पर योजनाएं बन रही हैं, लेकिन धरातल पर कुछ होता नहीं दिख रहा है।

रोडमैप अधूरा, शिक्षा सचिव से मांगी विस्तृत रिपोर्ट:-

कोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रस्तुत रोडमैप को अधूरा बताया और शिक्षा सचिव से जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत व पुनर्निर्माण को लेकर विस्तृत प्लान पेश करने के निर्देश दिए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 24 नवंबर को होगी।

कोर्ट के सवाल:-

न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक कुमार जैन की विशेष खंडपीठ ने झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से कई अहम सवाल पूछे—

  • कितने कमरे निर्माणाधीन हैं और कब तक तैयार होंगे?
  • कितने नए भवन बनाए जा रहे हैं?
  • जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए इस वर्ष कितना बजट आवंटित किया गया है?
  • निर्माण और जीर्णोद्धार की वार्षिक योजना क्या है?

कोर्ट की नाराजगी:-

कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान सरकार का कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं था, जबकि कोर्ट की टिप्पणियों पर ध्यान देना आवश्यक है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की गाइडलाइन के अनुसार स्कूलों में आरसीसी की छत होनी चाहिए, लेकिन कई जगह अब भी पट्टी की छतें लगी हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आयोग की गाइडलाइन, आरटीई और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप ही कार्य सुनिश्चित किया जाए।

कोर्ट ने मांगी ये जानकारी:-

  1. निर्माणाधीन भवनों की संख्या।
  2. नए बनाए जाने वाले भवनों की संख्या।
  3. जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए आवंटित बजट।
  4. इस वर्ष निर्माण व जीर्णोद्धार की योजना।
  5. आने वाले वर्षों का विस्तृत जीर्णोद्धार प्लान।
  6. जर्जर भवनों का रोडमैप और कार्यान्वयन प्रक्रिया।
  7. शिक्षा सचिव की ओर से इन सभी बिंदुओं पर हलफनामा प्रस्तुत किया जाए।