राजस्थान के फलौदी में हुए भीषण सड़क हादसे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा व्यवस्था पर कड़े सवाल उठाए हैं। इस हादसे में तीर्थयात्रियों से भरा एक टेंपो ट्रैवलर खड़े ट्रक से टकरा गया था, जिसमें 15 लोगों की मौके पर मौत हो गई और कई यात्री गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सोमवार को जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह घटना राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं का चिंताजनक संकेत है।
सड़कों की खराब हालत पर कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में राजस्थान के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित ढाबों, होटलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की पूरी सूची, उनकी लोकेशन और कानूनी स्थिति का विवरण शामिल करना होगा।
पीठ ने खास तौर पर उन ढाबों पर ध्यान देने को कहा है जो बिना अधिसूचित क्षेत्र के अवैध रूप से राजमार्ग किनारे संचालित हो रहे हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि टोल टैक्स वसूले जाने के बावजूद सड़कें खराब स्थिति में क्यों हैं और इन अवैध ढाबों से जुड़ी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
राज्य सरकार और NHAI दोनों से जवाब तलब
अदालत ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाते हुए अलग से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सरकार सड़क सुरक्षा के इस मामले में पूर्ण सहयोग देगी।
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एस. नाडकर्णी को न्याय मित्र (Amicus Curiae) नियुक्त किया है, जो इस मामले में कानूनी और तकनीकी सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
श्रीकाकुलम और हैदराबाद हादसों पर भी नजर
सुप्रीम कोर्ट ने केवल फलौदी हादसे तक खुद को सीमित नहीं रखा। अदालत ने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में हाल ही में हुई सड़क दुर्घटना और हैदराबाद-बीजापुर राजमार्ग पर हुई बस दुर्घटना का भी संज्ञान लिया, जिनमें कई लोगों की मौत हुई थी।
पीठ ने कहा कि ये घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर सड़क सुरक्षा के लिए कोई समन्वित नीति या प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं है। इसलिए आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्षकार बनाया गया है ताकि दोनों राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति तैयार की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
अदालत ने कहा कि अवैध ढाबे और अनधिकृत पार्किंग सड़क हादसों का प्रमुख कारण बन रहे हैं। ट्रक और भारी वाहन रात में सड़कों के किनारे खड़े कर दिए जाते हैं, जिससे तेज रफ्तार वाहन उनसे टकरा जाते हैं।
कोर्ट ने पूछा — “जब टोल के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपये वसूले जा रहे हैं, तो सड़कें खराब क्यों हैं? लाइटिंग, साइनेज और इमरजेंसी लेन क्यों नहीं हैं?”पीठ ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि दो सप्ताह में संतोषजनक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई, तो NHAI और राज्य सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

