राजस्थान यूनिवर्सिटी का नया निर्णय: बीएड विद्यार्थियों पर बढ़ा आर्थिक बोझ, परीक्षा शुल्क दोगुना—चार साल के पाठ्यक्रम पर उठे सवाल
R.खबर ब्यूरो। राजस्थान यूनिवर्सिटी द्वारा बीएड कोर्स में किए गए लगातार बदलावों ने शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हजारों विद्यार्थियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पहले प्रशासन ने बीएड में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया और अब परीक्षा शुल्क को लगभग दोगुना तक बढ़ाकर विद्यार्थियों पर अतिरिक्त आर्थिक भार डाल दिया है। इसका असर यूनिवर्सिटी से जुड़े करीब 164 कॉलेजों के 20 हजार से अधिक छात्रों पर पड़ेगा।
दो साल से बढ़ाकर चार साल कर दिया बीएड कोर्स:-
पहले बीएड का पाठ्यक्रम दो साल का होता था, जिसमें प्रथम और द्वितीय वर्ष की दो परीक्षाएँ ली जाती थीं। लेकिन यूनिवर्सिटी ने कोर्स अवधि बढ़ाकर चार साल कर दी है, जिसमें अब छात्रों को चार सेमेस्टर की परीक्षाएँ देनी होंगी। इस बदलाव के कारण शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए पात्रता भी विद्यार्थियों को चार साल बाद ही मिलेगी।
परीक्षा शुल्क में भारी बढ़ोतरी:-
पूर्व में दो साल के कोर्स में कुल परीक्षा शुल्क 8,120 रुपये था। लेकिन सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद अब चार सेमेस्टर का कुल शुल्क 17,240 रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक सेमेस्टर का 190 रुपये का प्रैक्टिकल शुल्क भी जोड़ा जाएगा, जो कुल मिलाकर 760 रुपये बनेगा।
छात्र और संगठन नाराज—निर्णय को बताया अव्यावहारिक
शिक्षक प्रशिक्षक प्रगतिशील समिति के पदाधिकारियों ने इस अचानक की गई बढ़ोतरी को अवैध और अव्यावहारिक बताया है। उनका कहना है कि अन्य कोर्स — जैसे एमएड—में भी सेमेस्टर सिस्टम है, लेकिन वहां एक सेमेस्टर के लिए करीब 1,900 रुपये ही लिए जाते हैं। बीएड में 4,310 रुपये प्रति सेमेस्टर किस आधार पर तय किए गए, इसका कोई स्पष्ट तर्क नहीं दिया गया है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बढ़ी लागत का हवाला दिया
परीक्षा नियंत्रक राकेश राव का कहना है कि शुल्क वृद्धि समिति की सिफारिशों और निर्धारित मापदंडों के आधार पर की गई है। उनका कहना है कि पहले दो परीक्षाएं होती थीं, अब चार होंगी, जिससे यूनिवर्सिटी पर भी खर्च बढ़ेगा।
छात्रों में आक्रोश—जल्द होगा आंदोलन
बीएड कर रहे छात्रों ने इस आदेश को तुगलकी बताते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों के अवसर पहले ही सीमित हैं, ऐसे में चार साल का कोर्स और दोगुना शुल्क गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए पढ़ाई छोड़ने जैसी स्थिति पैदा कर देगा। छात्र कृष्ण कुमार ने कहा कि यदि शुल्क कम नहीं किया गया तो वे जल्द ही बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

