राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाएं तेज, कुछ की हो सकती है छुट्टी; इन नामों पर रहेगी नजर
R.खबर ब्यूरो। जयपुर, अंता उपचुनाव के परिणाम आते ही राजस्थान की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। ब्यूरोक्रेसी में बड़े पैमाने पर तबादलों के बाद अब मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार की अटकलें चरम पर हैं। अंता विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार ने भजनलाल सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है। सरकार के दो वर्ष पूरे होने से पहले ही मंत्रिमंडल में बड़े पैमाने पर बदलाव की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं।
राज्य मंत्रिपरिषद में फिलहाल 24 मंत्री हैं, जबकि अधिकतम क्षमता 30 की है। ऐसे में छह खाली पदों पर नए नेताओं को जगह मिलने की चर्चाएँ तेज हैं। इसी बीच प्रशासनिक स्तर पर दो बड़े झटके लगे—मुख्य सचिव सुधांशु पंत का केंद्र में ट्रांसफर और मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले एसीएस शिखर अग्रवाल का सीएमओ से हटाया जाना। शिखर अग्रवाल को अब उद्योग विभाग दिया गया है, जबकि अखिल अरोड़ा नए एसीएस (मुख्यमंत्री) बन गए हैं।
जातीय व क्षेत्रीय संतुलन सबसे बड़ा फैक्टर:-
संभावित फेरबदल में पार्टी के भीतर गुटबाजी, जातीय संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को सबसे महत्वपूर्ण आधार माना जा रहा है। शेखावाटी, मेवाड़, पूर्वी राजस्थान और आदिवासी क्षेत्रों से नए चेहरों को शामिल किए जाने की बात चल रही है। वहीं गुर्जर और मेघवाल समुदायों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग भी तेज है।
कालीचरण सराफ, अनिता भदेल, श्रीचंद कृपलानी और पुष्पेंद्र सिंह राणावत को दोबारा मौका मिलने की संभावनाएँ जताई जा रही हैं। साथ ही जयदीप बिहाणी, हंसराज मीणा, आदूराम मेघवाल और रामविलास मीणा जैसे नेताओं के नाम भी प्रमुखता से चर्चा में हैं।
वसुंधरा राजे गुट को साधने का प्रयास:-
माना जा रहा है कि फेरबदल में वसुंधरा राजे गुट को भी पर्याप्त स्थान देकर संतुलन बनाए रखने की रणनीति तैयार हो रही है। भाजपा नेतृत्व किसी भी स्थिति में इस गुट को नाराज नहीं करना चाहता। फेरबदल केवल खाली पद भरने तक सीमित नहीं रहेगा—कुछ गैर-प्रदर्शनकारी मंत्रियों की छुट्टी और कई मंत्रियों के विभाग बदले जाने की भी संभावना है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन दिनों मंत्रियों के कामकाज का गहन मूल्यांकन कर रहे हैं।
पंचायत चुनाव से पहले बड़ा संदेश:-
आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा हाईकमान संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर मजबूत संदेश देना चाहता है। इसी कारण परफॉर्मेंस, जातीय-क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक जरूरतों के आधार पर टीम को फिर से तैयार किया जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों के विधायकों और नेताओं से अलग-अलग मुलाकातें कर फीडबैक लिया, जिसे फेरबदल से पहले की अंतिम समीक्षा माना जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अगले साल होने वाले चुनावों से पहले कैबिनेट को अधिक चुस्त, संतुलित और कार्यकुशल बनाना चाहती है।
क्या ‘गुजरात मॉडल’ लागू होगा?
सबसे बड़ी चर्चा इस बात की है कि क्या राजस्थान में गुजरात मॉडल की तरह सभी मंत्रियों से इस्तीफे लेकर नई कैबिनेट का गठन किया जाएगा। यदि यह फॉर्मूला लागू हुआ तो कई मौजूदा मंत्री बाहर हो सकते हैं और नए विधायकों को मौका मिल सकता है। ब्यूरोक्रेसी में हालिया बदलाव और मुख्यमंत्री की लगातार बैठकों से संकेत मिल रहे हैं कि बड़ा फेरबदल करीब है।
नई टीम बनाने की कवायद अंतिम चरण में:-
सिर्फ सरकार ही नहीं, भाजपा संगठन में भी नई टीम की तैयारी अंतिम चरण में है। दो बार लीक होने के बाद अब प्रदेश कार्यकारिणी की नई सूची लगभग फाइनल मानी जा रही है। उम्मीद है कि मंत्रिमंडल फेरबदल के साथ ही संगठन की नई टीम की घोषणा भी होगी। इसके अलावा विभिन्न आयोगों, बोर्डों और निगमों में लंबित राजनीतिक नियुक्तियाँ भी जल्द पूरी की जाएंगी, जिनमें वरिष्ठ नेताओं और समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलेगी।

