Rajnath Statement on Sindh: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का सिंध पर बयान, एक टिप्पणी से भारत-पाक में बढ़ी सरगर्मी
पाकिस्तान के सिंध इलाके को लेकर केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान ने सीमांत क्षेत्रों बाड़मेर और जैसलमेर में हलचल पैदा कर दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में कहा कि सिंध भौगोलिक रूप से पहले भारत का हिस्सा था। 1947 के बंटवारे में यह अलग हुआ। उन्होंने कहा कि कल को भौगोलिक स्थिति बदल सकती है। सिंध भारत में हो सकता है। उनके इस संकेत को सिंध से आए एक लाख से अधिक पाक विस्थापित अपने दर्द और उम्मीदों से जोड़कर देख रहे हैं।
विस्थापितों का दर्द: रिश्ते भी सरहद में फंस गए
बाड़मेर–जैसलमेर में बसे यह परिवार 1947, 1965, 1971 और उसके बाद लगातार सिंध से विस्थापित होकर आए थे। आज अधिकांश को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है, लेकिन सिंध से उनका रोटी–बेटी का रिश्ता आज भी जस का तस है। थार एक्सप्रेस बंद होने के बाद रिश्तों में दूरी बढ़ी है, जबकि दोनों देशों के तनाव ने चिंता और बढ़ा दी है।
सिंध में हिन्दुओं पर बढ़ते अत्याचार से बेचैनी:-
सिंध में रह रहे हिन्दुओं के लिए हालात और खराब होते जा रहे हैं। धर्म परिवर्तन का दबाव, युवतियों का अपहरण और जबरन निकाह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 1947 में पाकिस्तान की 14% हिंदू आबादी घटकर अब 2% पर आ गई है, जिसमें अधिकांश सिंध में ही रहते हैं। 21 नवंबर को एक और युवती का धर्म परिवर्तन होने से यहां बसे परिवारों की पीड़ा और बढ़ गई है।
पिछड़ेपन का शिकार:-
सिंध क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। पानी की भारी किल्लत के चलते वहां लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत पर पानी रोकने का आरोप लगाते हुए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। सिंधु जल समझौते में भारत द्वारा पानी रोके जाने की मार भी सबसे अधिक सिंध को ही झेलनी पड़ रही है।
थार एक्सप्रेस से आए, वापस गए नहीं:-
2006 से 2018 के बीच जोधपुर–कराची के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से 14 लाख यात्रियों ने सफर किया था। पुलवामा हमले के बाद यह सेवा बंद कर दी गई। इस ट्रेन से आए बड़ी संख्या में सिंध के लोग वापस नहीं लौटे और समय के साथ उन्हें भारत में नागरिकता मिल गई।
1971 में जीता था…सिंध तो हमारा हो गया था:-
1971 के युद्ध में भारत ने बाड़मेर के बाखासर सेक्टर से आगे बढ़कर पाकिस्तान के छाछरो क्षेत्र तक तिरंगा लहरा दिया था। यह पूरा इलाका करीब 9 महीने भारत के कब्जे में रहा। शिमला समझौते के बाद इसे पाकिस्तान को लौटा दिया गया। रक्षामंत्री के बयान ने उस ऐतिहासिक जीत की याद फिर ताज़ा कर दी है।
राजनाथ सिंह का प्रस्तावित है कार्यक्रम:-
1971 की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बलवंत सिंह बाखासर की मूर्ति का अनावरण 13 दिसंबर को प्रस्तावित है। कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के शामिल होने की संभावना है। दीया कुमारी के पिता ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने सिंध फतह की कमान संभाली थी।

