डिजिटल अरेस्ट का हैरान कर देने वाला मामला: साढ़े 9 बजे खुल जाती थी फर्जी कोर्ट, 16-16 घंटे खड़ा रहा बुजुर्ग; ठगे 33 लाख रुपए

R.खबर ब्यूरो। उदयपुर शहर में साइबर अपराधियों ने एक सीनियर सिटीजन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फर्जी केस में फंसाने का झांसा देकर पूरे 13 दिन तक वर्चुअल कैद में रखा। आरोपियों ने उन्हें नकली ऑनलाइन कोर्टरूम, जज, वकील और सीबीआई अधिकारियों के रूप में वीडियो कॉल दिखाकर भ्रमित किया। डर और दबाव में आकर बुजुर्ग ने अपने परिवार, बैंक खातों, शेयर और बचत योजनाओं की पूरी जानकारी ठगों को दे दी।

इन साइबर अपराधियों ने पीड़ित के बैंक और निवेश खातों से कुल 33 लाख 60 हजार रुपए निकाल लिए। मामला तब उजागर हुआ जब आरोपियों ने उससे एक मकान के सौदे के नाम पर और 30 लाख रुपए जमा कराने की मांग की। शक होने पर बुजुर्ग ने एक परिचित से बात की और तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पहुंचे।

प्राधिकरण के सचिव व एडीजे कुलदीप शर्मा ने पूरी जानकारी लेकर आईजी गौरव श्रीवास्तव से संपर्क किया। इसके बाद पीड़ित को तत्काल आईजी कार्यालय भेजा गया, जहां से साइबर पुलिस को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए गए।

ऐसे शुरू हुआ मामला:-

पीड़ित ने बताया कि 12 नवंबर की सुबह उसे एक अज्ञात कॉल आया। कॉलर ने खुद को TRAI अधिकारी बताया और कहा कि उसकी पहचान पर फर्जी सिम निकली है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े केस से जुड़ी है। फिर उसे एक कथित “इमरजेंसी पोर्टल” की वीडियो कॉल पर जोड़ा गया, जहां वर्दी पहने व्यक्ति ने खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताया।

आरोपियों ने कहा कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग और दो करोड़ रुपये की फर्जी गतिविधियों में हुआ है। डराकर उन्होंने उसके सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करवाए और फोन को “सर्विलांस पर” बताकर 17 घंटे तक वीडियो कॉल पर खड़ा रखा।

30 लाख की अतिरिक्त मांग पर हुआ शक:-

25 नवंबर को जब ठगों ने 30 लाख रुपए और ट्रांसफर करने का दबाव बनाया, तब पीड़ित को पूरे घटनाक्रम पर संदेह हुआ। उसने परिचित से बात कर मामला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को बताया, जहां से साइबर थाना पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई गई।

नकली ऑनलाइन कोर्ट:-

पीड़ित ने बताया कि 12 से 25 नवंबर तक लगातार कॉल आते रहे। अपराधियों ने एक नकली ऑनलाइन कोर्ट दिखाया, जहां हर दिन सुबह 9:30 बजे “कोर्ट खुलती” थी। वह इसे असली कोर्ट समझ बैठा और उनके बताए निर्देशों का पालन करता रहा।
ठगों ने उसे ऑनलाइन एफआईआर, गिरफ्तारी आदेश, जमानत की प्रक्रिया और बॉण्ड तक दिखाकर पूरा नाटक रचा।

ठगों ने ऐसे लूटी रकम:-

उनके दबाव में आकर बुजुर्ग ने बैंक खातों और निवेश की जानकारी साझा कर दी। ठगों ने इससे— यूनियन बैंक से 18 लाख 10 हजार रुपए, एसबीआई देबारी से 8 लाख 50 हजार रुपए, शेयर बेचकर करीब 7 लाख रुपए एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में ट्रांसफर करवा लिए।

साइबर पुलिस की अपील:-

  • कोई सरकारी एजेंसी (TRAI, CBI, पुलिस, बैंक) फोन या वीडियो कॉल पर जांच या गिरफ्तारी की सूचना नहीं देती।
  • वीडियो कॉल पर दिखाए जाने वाले “जज, पुलिस व CBI अधिकारी” हमेशा फर्जी होते हैं।
  • कभी भी OTP, बैंक डिटेल, पासबुक, शेयर या FD की जानकारी साझा न करें।
  • “राष्ट्रीय सुरक्षा केस”, “मनी लॉन्ड्रिंग”, “फोन सर्विलांस” जैसी धमकियों पर तुरंत कॉल काट दें।

महत्वपूर्ण सलाह:-

अनजान कॉल न उठाएं। किसी प्रकार की समस्या या शक होने पर तुरंत नजदीकी थाने, साइबर पुलिस या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क करें। हेल्पलाइन: 15100 या 1930
कुलदीप शर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण