बीकानेर, आज सुबह दिल को झकझोर के रखने वाली अप्रत्याशित घटना राजगढ़ थानाधिकारी विष्णुदत्त शर्मा द्वारा आत्महत्या के रूप में सामने आई।

कल रात ही किसी हत्या कांड की जांच कर घर लौटे। सुबह फंदा लगा शव मिला। पुलिस महकमे में राजनीतिक दबाव की घिनोनी तस्वीर सामने आई।

किसी प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर रहे बिश्नोई को राजनीतिज्ञ और महकमे के कुछ अधिकारी टॉर्चर कर रहे थे। जिसके चलते ईमानदार और दबंग अधिकारी मानसिक दबाव में आया गये।
कुछ पुलिस अद्धिकारियो को कप्तान का साथ मिल जाता है जो राजनीतिग्यो को दरकिनार कर अपने अधिकारी के साथ खड़े रहकर उनके हौसले बढ़ते है तो कुछ राजनीतिग्यो के दबाव में आकर अधिकारी को गलत के लिए प्रेरित करते है।

अधिकारी उसका साथ देने के बजाय राजनीतिग्यो के हत्थे चढ़ बिश्नोई पर मानसिक दबाव बनाने की बात सामने आ रही।
बिश्नोई इस दबाव को झेल नहीं पाए। अपनी इहलीला समाप्त कर पूरे पुलिस महकमे के लिए एक संदेश छोड़ गए।

अशौक गहलोत सरकार कटघरे में है।
गहलोत को इसका जवाब देना होगा कि एक ईमानदार और कर्मठ पुलिस अधिकारी ने आखिर किसके दबाव में अपनी जान दे दी।

अशौक गहलोत सरकार के प्रतिनिधि कटघरे में है।

गहलोत को आगे आकर इस मामले की निष्पक्ष जांच सी बी आई से करने की सिफारिश केंद्र सरकार से कर दामन में लगे दाग को साफ करने का प्रयास करना चाहिए वरना आमलोगों में यही संदेश जाएगा कि गहलोत सरकार के प्रतिनिधि पुलिस पर दबाव बना कर पुलिस पर हुकूमत करना चाहते है।

करोना संक्रमण और लॉक डाउन अवधि में गहलोत सरकार की साख बचाने वाले पुलिस महकमा राजनीति के दबाव में है यह सोच कर घिन्न आती है।
पुलिस को अपना काम करने दीजिए। राजनीति के लिए बहुत सी जगह रिक्त पड़ी है। बिश्नोई की मौत कई सवाल छोड़ गई। न सवालों के जवाब गहलोत को देने होंगे।