











खाजूवाला, दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही मिठाई की दुकानों पर मिठाई खरीदारों की भीड़ बढ़ रही है। ऐसे में मिठाई विक्रेता अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में दूषित मावा की मिठाई भी बिक्री हो रही है। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लगे लॉकडाउन के कारण जहां होटल व मिठाई की दुकानें भी बंद थी। ऐसे में अब शुरू हुए त्योहारी सीजन को देखते हुए मावे की खपत भी बढ़ गई है। मावे से बनने वाली मिठाइयां ज्यादातर लोगों की पसंद होती है। लेकिन बीच बाजार में बिना कोई ढ़के इन मिठाइयों को बेचा जा रहा है। खुले में बिक रही मिठाइयां स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। हैरानी की बात तो यह है कि हर साल दीपावली सीजन के मौके पर मावे से बनी मिठाईयों के सैंपल फेल होने के बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी दूषित मावे का स्टॉक करने वालों पर कानूनी शिकंजा कसने में नाकाम रहे है।
ग्रामीण क्षेत्र में भी हजारों लीटर दूध का मावा रोजाना तैयार होता है। लेकिन इस मावे की गुणवत्ता क्या है इसको किसी की जानकारी नहीं है। बिना किसी गुणवत्ता के तैयार हो रहे मावे से मिठाइयां बाजार में धड़ल्ले से बिक रही है।क्षेत्र में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित खाद्य निरीक्षक टीम को औचक निरीक्षण कर इन मिठाइयों का सैंपल भरना चाहिए। साथ ही मिठाई विक्रेताओं को इस बात के लिए पाबंद करना चाहिए कि बिना ढके खुले में मिठाई बेचना कानूनन अपराध है। खाजूवाला में दूषित मावे का स्टॉक और उससे बनने वाली मिठाईयों की बिक्री का खेल कई सवाल खड़े कर रहा है। दिवाली का त्यौहारी सीजन शुरू होने से पहले ही मावा व मिठाई कारोबारियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इसके अलावा देशी घी के नाम पर मिलावटी घी की मिठाईयों के नमूने भी हर साल बड़ी संख्या में फेल होते है। इसके बावजूद न तो सरकार चेत रही है और ना ही स्वास्थ्य विभाग गंभीर है।

