











बीकानेर, बीकानेर रेलवे स्टेशन पर सोमवार करीब सुबह 6 बजे झारखंड के आदिवासी इलाके की रहने वाली महिला अपनी बच्ची को गोद में लिए बैठी रोती हुई नजर आई और उसे बार–बार देखकर आंखों से आंसू ही टपकते हुए नजर आई बच्ची का मुंह खुला था आंखें ठहरी हुई, बेटी की धड़कने सुनाई नहीं दे रही थी। तो महिला समझ गई कि बेटी इस संसार से विदा हो गई।
गर्मी के कारण भूख प्यास से मां-बेटी व्याकुल थे। जिसकी वजह से बेटी की तबीयत बिगड़ गई। स्टेशन पर सार्वजनिक स्टैंड से पानी तो मिल गया। लेकिन खाने को कुछ नहीं मिला। खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे। बच्ची कब चल बसी पता ही नहीं चला। करीब 1 घंटे तक जब कोई हरकत नहीं करी बच्ची तो मां समझ गई कि बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है। वह पहली बार बीकानेर आई थी और कोई जान पहचान भी नहीं थी। कहां बेटी का अंतिम संस्कार करें, कैसे करें, किससे मदद मांगे ऐसे ही अनगिनत सवाल उसके सामने खड़े थे। करीब 8 घंटे बाद समाजसेवियों की नजर उस पर पड़ी तो बच्ची का अंतिम संस्कार करवाया गया।

 
 