rkhabar
rkhabar
rkhabar

rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar

खाजूवाला, देश के लिए जो भी शहीद होता है असल में वह किसी देवता से कम नहीं होता है। हम अपने बच्चों को अगर इन शहीद वीरों की गाथा बताएं और इन्हे देवता की तरह पूजे यही एक शहीद को सच्ची श्रृद्धांजली होगी। देश का जवान सीमाओं की रक्षा करते हुए अमर हो जाते है हम कुछ दिनों तक को शहीद को याद करते है लेकिन बाद में धीरे धीरे उन्हे भुल जाते है। ऐसा नहीं करके हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों व खुद शहीद को रोजाना नमन करें तथा एक देवता की तरह पूजे तो हमें एक अनन्त शक्ति की अनुभूति होती है और यही एक शहीद के लिए सच्ची श्रृद्धांजली होती है। शहीद पूरे राष्ट्र का पुत्र होता है और हर एक व्यक्ति को शहीद को नमन करते हुए अपना प्रेरणा स्रोत मानना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा में एक सैनिक का अहम योगदान रहता है। यह सम्बोधन सैनिक कल्याण बॉर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर ने खाजूवाला में शहीद ओमप्रकाश बिश्नोई के नवनिर्मित स्मारक व मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में कहे। कार्यक्रम का मंच संचालन काशी सारस्वत ने किया।

एडवोकेट पुरूषोतम सारस्वत ने बताया कि अमर शहीद की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महंत रामानंद महाराज पीठाधीश्वर मुक्तिधाम मुकाम बीकानेर, प्रेम सिंह बाजौर, पूर्व अध्यक्ष सैनिक कल्याण बोर्ड राजस्थान सरकार, हेमंत यादव समादेष्टा 114 बटालियन बीएसएफ, अंजुम कायल पुलिस उप अधीक्षक खाजूवाला, रामस्वरूप मांझू प्रधान अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम बीकानेर, राजस्व तहसीलदार गिरधारी सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम में शहीद के पिता रिछपाल गोदारा, माता वीरमा देवी, वीरांगना निर्मला देवी व पुत्री सरोज एवं पुत्र शिव प्रकाश रहे भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में अतिथियों ने सर्वप्रथम मूर्ति का अनावरण कर पुष्प चक्कर व फूल माला पहनाकर तथा शिलालेख का अनावरण कर लोकार्पण किया। इसके बाद शहीद परिवार का मान सम्मान किया गया। सीमा सुरक्षा बल व पुलिस के जवानों ने शहीद की मूर्ति को सैल्यूट कर शहीद ओमप्रकाश अमर रहे के नारों से परिसर गुंजायमान किया। कार्यक्रम में मूर्ति एवं परिसर लगाने में सहयोगी भामाशाह का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया।

114 वीं वाहिनी बीएसएफ समादेष्टा हेमंत यादव नेकहा कि मेरा सौभाग्य है कि शहीद ओमप्रकाश बिश्नोई की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में आने का मुझे मौका मिला है। यह क्षेत्र वासियों के लिए राष्ष्ट्रप्रेम का प्रेरणा स्रोत है और साथ ही शहीद स्मारक स्थल पर पेड़-पौधे एवं पार्क बनाने का जिम्मा 114 बटालियन ने लिया है। मुख्य अतिथि प्रेम सिंह बाजोर ने तकरीबन 1100 शहीदों की मूर्तियां लगाने का जिम्मा अपने निजी खर्चे से ले रखा है। उसी कड़ी में यह मूर्ति भी खाजूवाला पहुंची है। वही सीमाजन कल्याण समिति के प्रांत मंत्री राजेश लदरेचा ने कहा कि सीमा पर इस मूर्ति के लगने से क्षेत्र के युवाओं में राष्ट्रप्रेम और सीमा की सुरक्षा की जागरूकता बढ़ेगी तथा शहीद परिवार को कहा कि आपने ऐसा सपूत दिया है कि पूरा क्षेत्र गौरवान्वित है।

मूर्ति देख पिता की आंखे हुई नम
शहीद ओमप्रकाश बिश्नोई सन् 2000 में देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अमर हो गए। ओमप्रकाश बिश्नोई के शहीद होने के 21 साल बाद जब उनके नाम का स्मारक बनाया गया व मूर्ति लगाई गई तो इस कार्यक्रम में उनके पिता रिछपाल बिश्नोई को भी आमंत्रित किया गया। रिछपाल बिश्नोई जब परिसर में पहुंचे और मूर्ति की तरफ देखा तो उनके आंखों से आँसु झलकने लगे। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतित हो रहा है कि मेरा पुत्र जैसे आज इतने सालों बाद मेरे सामने आकर खड़ा हो गया हो।

ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर भागीरथ ज्याणी चेयरमैन, रामप्रताप भादू, हनुमान बिश्नोई, डॉ. जे.एस. संधू, सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष खलील खान, रविंद्र कस्वां, चेतराम भाम्भू, सरपंच राजाराम कस्वां, जयपाल बिश्नोई, सुखराम खोखर, रणवीर भाम्भू, बलदेव सिंह बराड़, रमेश बंसल, सतीश मेघवाल, इंद्राज साईं, हाजी इस्माइल खान, डॉ नीटु, बृजलाल चाहर, बनवारीलाल भादू, संग्राम सिंह एवं आरएसएस के अशोक विजय, मदन राजपुरोहित, एडवोकेट रामकुमार तेतरवाल, मुकेश भादू, रामेश्वर एवं चक आबादियों से काफी संख्या में जनसमूह रहा उपस्थित।