rkhabar
rkhabar
rkhabar

rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar
rkhabar

R.खबर ब्यूरो। प्रदेश के विद्यालयों में वाइस प्रिंसिपल का पद समाप्त किए जायेंगे। शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में वाइस प्रिंसिपल के पद को डाइंग कैडर बनाने पर सहमति बनी है। अभी जो शिक्षक वाइस प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं, उन्हें पदोन्नत किया जाएगा। इसके बाद उस पद की पुन: पूर्ति नहीं की जाएगी। शिक्षक संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।

वाइस प्रिंसिपल के 12 हजार 421 पद स्वीकृत:-

समीक्षा बैठक में विभाग के अधिकारियों ने कहा कि स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल पद की आवश्यकता नहीं है। वाइस प्रिंसिपल का पद बनाने से न सिर्फ शिक्षकों की कमी हुई बल्कि व्याख्याताओं को आर्थिक नुकसान भी हुआ है। फ़िलहाल राज्य में वाइस प्रिंसिपल के 12 हजार 421 पद स्वीकृत हैं। इनमें आधे से अधिक पद खाली हैं। अब यह 12 हजार वाइस प्रिंसिपल व्याख्याताओं के रूप में सेवा देंगे।

प्रवक्ताओं को आर्थिक लाभ होगा:-

शिक्षक संघ लंबे समय से इस पद को समाप्त करने की मांग कर रहा था। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विपिन शर्मा ने कहा कि इससे प्रवक्ताओं को आर्थिक लाभ होगा। वे सीधे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत हो पाएंगे। अभी व्याख्याता 4800 ग्रेड से पदोन्नत होकर 5400 ग्रेड पर वाइस प्रिंसिपल बनते हैं। लेकिन वे सीधे प्रिंसिपल बनेंगे तो 6600 ग्रेड की आवश्यकता होगी। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान नहीं होगा।

गहलोत सरकार में वाइस प्रिंसिपल का पद हुआ था सृजित:-

पहले की अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में उप- प्रधानाचार्य का पद सृजित किया गया था। वर्तमान में सरकार इस फैसले को पलटने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग का मनाना है कि उप-प्रधानाचार्य के पद अनावश्यक रूप से सृजित किया गया था। इसे खत्म करने से व्याख्याताओं को सीधे प्राधानाचार्य के पद पर पदोन्नति का लाभ मिलेगा। इसकी वजह से स्कूलों में प्रवक्ताओं की कमी पूरी होगी। स्टूडेंट्स को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। यदि उप-प्रधानाचार्य को प्रमोट करके प्रिंसिपल के खाली पदों को भर जाए, तो खाली पदों की स्थिति में सुधार हो सकता है।