राजस्थान में RGHS योजना में बड़ा घोटाला, 20 से ज्यादा डॉक्टरों के खिलाफ जांच जारी, मेडिकल स्टोर्स के साथ मिल ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, आरजीएचएस योजना में लगातार घोटाला सामने आ रहा है। जानकारी के अनुसार जयपुर सहित कई जिलों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब हर जिले में जांच हो रहीं है, ताकी घोटाले का मालूम किया जा सके। बता दें कि सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए शुरू की गई आरजीएचएस योजना सवालों के घेरे में आ गई है। करोड़ों रुपए के इस घोटाले को प्रदेश के सबसे संगठित हेल्थ इंश्योरेंस फ्रॉड में गिना जा रहा है। आरजीएचएस की जांच में अब तक स्वास्थ्य विभाग के निशाने पर प्रदेश में 20 से ज्यादा डॉक्टर आ चुके है। जिनके खिलाफ विभागीय जांच की जा रहीं है। वहीं मेडिकल स्टोर्स के मिलीभगत से यह खेल चल रहा था। जिसमें अब तक प्रदेश में 275 मेडिकल स्टोर्स पर जांच की जा चुकी है। जिनके खिलाफ भी जांच कार्रवाई जारी है।
मार्च 2025 में जब वित्त और स्वास्थ्य विभाग ने एक संयुक्त ऑडिट शुरू किया, तब पहली बार शक की सुई कुछ जिलों की मेडिकल स्टोर्स और डॉक्टरों पर घूमी। धीरे-धीरे जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डेटा एनालिसिस हुआ तो खुलासा हुआ कि सरकारी कर्मचारियों के नाम पर बार-बार एक ही दवाएं, भारी बिल, बिना ओपीडी या एडमिशन के क्लेम और फर्जी पर्चियों के जरिए रुपए निकाले गए। जिसके बाद यह घोटाला उजागर हुआ। जांच अभी भी जारी है। आने वाले समय में कई ओर डॉक्टर इस फर्जीवाड़े में पकड़े जा सकते है।
स्टेट लेवल कार्रवाई की डाटा रिपोर्ट:-
- प्रदेश में अब तक 275 मेडिकल स्टोर्स पर जांच कार्रवाई की गई।
- इनमें से 30 स्टोर्स के लाइसेंस स्थाई रूप से रद्द किए।
- 33 स्टोर्स को अस्थाई रूप से निलंबित किया गया।
- 20 से ज्यादा डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच जारी।
- 5 जिलों में जांच समिति गठित।
जानिए: कैसे फंस गए डॉक्टर और मेडिकल स्टोर वाले…
- आरोपी डॉक्टरों ने किसी मरीज को देखा ही नहीं, लेकिन उसके नाम पर इलाज दिखाकर हजारों-लाखों रुपए का बिल बनवा लिया।
- कई बार ऐसे लोग भी इलाज का क्लेम कर लेते हैं जो बीमार ही नहीं हुए। सिर्फ कार्ड और डॉक्यूमेंट इस्तेमाल करके क्लेम कर दिया जाता है। ऐसे मरीजों की वजह से भी शक गहरा गया डॉक्टरों पर इलाज को लेकर।
- मरीज की असली बीमारी छोटी थी। लेकिन डॉक्टर और मेडिकल स्टोर मिलकर बड़ी-बड़ी महंगी दवाएं बिल में जोड़ दी।
- मरीज को बार-बार एक ही महीने में भर्ती दिखाया गया, ताकि ज्यादा क्लेम लिया जा सके।