बीकानेर: ऐसा क्या हुआ की 2000 लोग हो गए घरों में कैद
बीकानेर। वल्लभगार्डन की अब तक की सबसे बड़ी 300 फीट चौड़ी पाल टूट गई। पहले जब भी टूटी ताे 20 से 50 और अधिकतम 70 फीट तक टूटी थी मगर बीते दिनाें आई 61 एमएम बारिश का पानी सहन नहीं हाे सका और पाल दरक गई। इसे भर पाना भी आसान नहीं होगा। नतीजा,बजरंग विहार प्रथम व सेकंड फेज और मदन विहार का पूरा इलाका जलमग्न हाे गया। ये तीनों ही कॉलोनियों मानो पानी के टापू पर बसी जैसी लग रही हैं। बीते दो तीन सालों में वल्लभगार्डन की पाल अब तक कितनी बार टूट चुकी। इसकी गिनती तो शायद वल्लभगार्डन के लोग भी भूल चुके होंगे। जमीन या मकान ले लिया वर्षों से रह रहे हैं तो सबकुछ छोड़कर भाग नहीं सकते। एक उम्मीद भी लोगों को रोके है कि शायद अब कोई स्थाई समाधान निकल आए मगर योजनाएं धरातल पर उतरने की नौबत ही नहीं आ रही। दरअसल बीकानेर शहर में करीब 70 प्रतिशत इलाके में सीवरेज हैं। सीवरेज का पानी तो सीधे ट्रीटमेंट प्लांट पर जाता है मगर जो बचा हुआ हिस्सा 30 प्रतिशत है जहां सीवरेज नहीं है। वहां का पानी नालों से होते हुए वल्लभगार्डन तक जाता है। यहां आने वाले पानी का कोई आगे ना तो ट्रीटमेंट होता है ना ही इसका कोई और उपयोग। पानी भरा होने का फायदा आसपास के लोग उठाते हैं और यहां से पानी पंप करके खेतों तक ले जाते हैं और गंदे पानी से खेती करते हैं। क्योंकि इसी पाल से सटी हुई बजरंग विहार कॉलोनी का पहला और दूसरा फेज बसा हुआ है। पास में ही मदन विहार कॉलोनी भी है। जैसे ही पाल टूटती है तो पूरा पानी निकलकर इन कॉलोनियों में आ जाता है। पानी इतना ज्यादा आता कि लोगों के गेट और घरों तक घुस जाता है। यहां सैकड़ों घरों के लोग पाल टूटने पर अपने घरों में कैद हो जाते हैं क्योंकि निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता। वही हालात बीते 3 दिनों से इस कॉलोनी के बने हुए हैं। क्योंकि 3 दिन पहले जो 61 एमएम बारिश हुई वो नालों से यहां पहुंचा। पाल इसका दबवा सहन नहीं कर पाई और टूट गई।