खाजूवाला, कोरोना काल के 2 साल के बाद प्रदेश भर में आज वन्यजीवों का आंकलन किया जा रहा हैं। ऐसे में छतरगढ़ उप वन संरक्षक कार्यालय के अंतर्गत 39 वाटर पॉइंट पर कर्मचारियों व वॉलिंटियर के माध्यम से गणना की जा रही है। इस गणना का निरीक्षण करने छत्तरगढ़ मुख्य वन संरक्षक सुरेश कुमार आबूसरिया व दंतोर क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेन्द्र पाल मीणा पहुंचे। जहां पर वन्यजीव आंकलन स्थानों का निरीक्षण किया गया आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसके साथ ही डीएफओ ने वन विभाग की नर्सरी का भी निरीक्षण किया व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए।
डीएफओ सुरेश कुमार ने कहा कि कोरोना काल के चलते 2 सालों से वन्यजीवों की गणना नहीं हो पा रही थी। ऐसे में 16 मई सुबह 8:00 से 17 मई सुबह 8:00 बजे तक वाटरहोल पद्धति से वन्यजीवों की गणना की जा रही है। इसके साथ ही 30 मई तक वन्यजीवों के आंकङे संकलित कर भेजे जाएंगे। आबूसरिया ने बताया कि वन्य जीव संख्या आकलन वर्ष 2022 के लिए बीट को इकाई मानकर बीट वाइज आंकलन किया जा रहा हैं। इस बार भी कई स्थानों पर कैमरा ट्रैप पद्धति से तो कई स्थानों पर वॉलिंटियर की मदद से गणना की जा रही है। वन्य जीवों की संख्या सटीक आंकलन करना क्योंकि बहुत जटिल प्रक्रिया है। इसलिए इसलिए इस पद्धति का नाम वन्यजीव गणना के बजाए वन्यजीव आंकलन और वाइल्डलाइफ सेंसस की जगह वाइल्डलाइफ ऐस्टीमेशन दिया गया हैं। वन्यजीव आंकलन जेठ पूर्णिमा यानी 16 मई सुबह 8:00 से 17 मई सुबह 8:00 बजे तक 24 घंटे के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही वन्यजीव की प्रजाति एवं लिंग का सही निर्धारण हो सके इसके लिए मोबाइल और कैमरा से फोटो खींचकर विशेषज्ञ से पहचान करवाना सुनिश्चित किया गया हैं। इससे पूर्व स्टाफ व वॉलिंटियर को वन्यजीव आंकलन हेतु प्रॉपर ट्रेनिंग भी दी गई। वन्यजीवों में मुख्यत: बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरु बिल्ली, भारतीय लोमड़ी, रेगिस्तानी लोमड़ी, भेडिय़ा, भालू, सियागोश, चिंकारा, सांभर, चौसिंघा, कृष्ण मृग, जंगली सुअर, सेही, उडऩ गिलहरी, गोंडावन, सारस, गिद्ध की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां, उल्लू की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां आदि शामिल हैं।
छतरगढ़ उप वन संरक्षक के अंतर्गत 39 वाटर पॉइंट पर हो रही है वन्यजीवों की गणना, निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी
