
खाजूवाला, 30 केवाईडी स्थित श्री सत्यवादी वीर तेजाजी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन महंत स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने कहा कि मनुष्य का जन्म दो बार होता है, एक तो माता के गर्भ से व दूसरा जन्म उनके संस्कार से, महंत सच्चिदानंद ने कहा कि व्यापार व्यवहार के लिए मस्तिक का उपयोग करें लेकिन परिवार के लिए हृदय से एक दूसरे को स्वीकार करने का भाव रखें। बुढ़ापे का सहारा संस्कार ही देते हैं। शिक्षा ही मनुष्य का जीवन बदलता है, इसलिए संतानों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मृत्यु के अनेक रास्ते हैं लेकिन जन्म का एक ही रास्ता है सिर्फ मां, इसलिए माता-पिता की सेवा करके सुख की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है।उन्होंने दहेज को लेकर भी अपने विचार रखे, दहेज को आज के समाज में बड़ी कुरीति मानते हुए इसे अभिशाप बताया और पति पत्नी के जीवन को नाश करने वाला बताया।
पुजारी रामेश्वर लाल गोदारा ने बताया कि कथा के दूसरे दिन भी काफी संख्या में महिलाएं पुरुष पहुंचे। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीमद् भागवत कथा सुनी पुण्य लाभ कमाया। वही भजन मंडली द्वारा सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए। 14 अप्रैल को कार्यक्रम के दौरान रक्तदान शिविर का भी कार्यक्रम रखा गया है। जिसमे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान करने की अपील की गई।