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खाजूवाला, सिंचाई पानी की मांग को लेकर खाजूवाला, रावला, पूगल, दंतौर, घड़साना आदि क्षेत्रों के किसान एकजूट हो रहे है। पूर्व में पानी की मांग को लेकर अनुपगढ़ में महापंचायत का आयोजन किया गया था। वहीं 27 सितम्बर को घड़साना में महापंचायत का आयोजन किया गया है। जिसको लेकर खाजूवाला क्षेत्र में जनसम्पर्क अभियान तेज हो गया है। इस बार फिर से खाजूवाला से हजारों की संख्या में लोग घड़साना महापंचायत में पहुंचेंगे।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना में सिंचाई पानी की मांग को लेकर एक बार फिर किसान बड़े आंदोलन के मूड में नजर आ रहे हैं। खाजूवाला, रावला, घड़साना सहित अनेक मंडियों के किसान अब चार में से दो समूह में सिंचाई पानी की मांग रबी फसल के लिए कर रहे हैं। एक कहावत है दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँककर पीता है वैसे किसानों ने खरीफ फसल सिंचाई पानी के अभाव में नष्ट होती देखी है। पानी नहीं मिलने से इस क्षेत्र के बड़े भु-भाग पर बिजान हो रही नहीं पाया। लेकिन अब किसानों के भयंकर आर्थिक मंदी से बचने का रबी फसल एक मात्र ही विकल्प है। ऐसे में रबी फसल के लिए किसान पर्याप्त पानी की मांग कर रहे हैं। 22 सितंबर को किसानों ने अनुपगढ़ में बड़ी महापंचायत करके पानी की मांग को बुलंद किया था। वहीं 27 सितंबर को घड़साना में महापड़ाव को लेकर इ.गा.न.प. प्रथम चरण के किसान नुक्कड़ सभा कर सरकार को घेरने की तैयारी में है।

किसान नेता भुपराम भांभू ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगले सप्ताह अनुपगढ़ ब्रांच व पूगल ब्रांच में पानी नहीं छोड़ा गया। तो किसानों को मजबूर होकर महापड़ाव के बाद हैडो पर कब्जा करना पड़ेगा। ऐसे में 2004 जैसे आंदोलन की चिंगारी एक बार फिर लगती दिखाई दे रही है। 21 सितंबर की जल परामर्शदात्री बैठक के बाद चार में से एक समूह का रेगुलेशन बना है जो कि पहली बार ऐसा रेग्यूलेशन बनाया गया है। जिसका किसान अब पूरजोर तरीके से विरोध भी कर रहे है।

2013 के बाद नंवबर महीने में पोंग डैम की स्थिति
2013 से लेकर अब तक पोंग डेम की स्थिति सामान्य रही है जिसपर किसानों को पर्याप्त पानी मिलता आया है। लेकिन इस बार सरकार व अधिकारियों की हटधर्मिता के कारण किसानों ने फसल के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। 25 सितम्बर 2013 को पौंग डेम में 1388.35 फिट पानी था, 25 सितम्बर 2014 को पौंग डेम में 1367.26 फिट, 25 सितम्बर 2015 में 1381.97 फिट, 25 सितम्बर 2016 को 1368.25 फिट, 25 सितम्बर 2017 को 1381.10 फिट, 25 सितम्बर 2018 को 1388.32 फिट, 25 सितम्बर 2019 को 1385.73 फिट, 25 सितम्बर 2020 को 1373.60 फिट, 25 सितम्बर 2021 में 1354.21 फिट पानी है। पूर्व में हमेशा पर्याप्त पानी दिया गया है लेकिन इस बार पानी की मात्रा सही होने के बावजूद भी पानी नहीं दिया जा रहा है।

ये रखी जाएगी मांगे
किसान सुरेन्द्र बिश्नोई ने बताया कि किसानों की मुख्य मांग नहरों में चार में से दो ग्रुप में पानी चलाना है तथा भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की पांच राज्यों की होने वाली बैठक चंडीगढ़ की बजाय दिल्ली में होने चाहिए। किसान लगातार इस मांग को पूरजोर तरीके से उठा रहे हैं कि चंडीगढ़ में बीबीएमबी की हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू इन 5 राज्यों की पानी के शेयर को लेकर होने वाली बैठक दिल्ली में की जाए। ताकि राज्यों के साथ भेदभाव ना किया जाए।

वहीं इस बैठक का राजस्थान के चीफ इंजीनियर के अलावा कोई प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ऐसे में किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि बीबीएमबी की होने वाली बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने के लिए आईजीएनपी के प्रथम चरण से एक व द्वितीय चरण से भी एक सदस्य नियुक्त किया जाए, ताकि पानी के शेयर की पूरी जानकारी किसानों को मिलती रहे। साथ ही जलपरामर्शदात्री की हनुमानगढ़ सिंचाई कार्यालय में होने वाली बैठक में भी प्रत्येक विधानसभा से एक-एक सक्रिय किसान को लिया जाए ताकि पानी वितरण में गड़बड़ी ना रहे।

शनिवार को बैठक में ये रहे उपस्थित
शनिवार को बिश्नोई धर्मशाला में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें घड़साना में होने वाले महापड़ाव में क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा किसान पहुंचने की अपील की गई। इस बैठक में पूर्व विधायक डॉ.विश्वनाथ मेघवाल, सीसीबी चेयरमैंन भागीरथ ज्याणी, मनीराम गोदारा, भूपराम भाम्भू, रणवीर भाम्भू, रामकुमार गोदारा, लाजपत थोरी, मूलाराम कूकणा सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

व्यापारियों ने किया किसानों का समर्थन
कच्चा आड़तिया व्यापार संघ अध्यक्ष रामकिशन कस्वां ने पत्र जारी करके सूचना दी है कि 27 सितम्बर को घड़साना में होने वाले महापंचायत को लेकर अनाज मण्डी में बोली की प्रक्रिया नहीं की जाएगी। वहीं सभी व्यापारियो से महापड़ाव में पहुंचने का आह्वान भी किया गया है।