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खाजूवाला, वर्तमान समय मे किसान बड़ी विकट परिस्थिति में अनाज पैदा करता है। यही किसान कभी सरकार की मार झेलता है तो कभी भगवान की। अच्छी पैदावार हो जाए तो प्राकृतिक आपदा से फसल खराब हो जाती है तो कभी सरकार द्वारा पूरा पानी नहीं देने पर फसलें पिट जाती है और रहे सहे किसान भ्रष्टाचार के शिकार हो रहे है। खाजूवाला में भ्रष्टाचार का आलम इस हद तक बढ़ चुका है कि बिना काम किए ही ठेकेदार कार्य की इतिश्री कर रहे हैं।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना की अनूपगढ़ शाखा के अंतिम छोर व भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के नजदीक बसे गांव आज भी नहर में आ रहे सिंचाई पानी को कम से कम 40 किलोमीटर सामने चलकर लाना पड़ता है। इससे ज्यादा दुर्भाग्य किसानों का क्या हो सकता है। बड़ी विडंबना की बात है कि इस अंतिम छोर के किसानों को आज भी पूरा सिचाई पानी नसीब नही हो रहा है। लंबे अरसे से इन नहरों में जमा सिल्ट किसानों के गले की फांस बनी हुई है। लंबी दूरी की नहरे होने के कारण नहर में कचरे व मिट्टी की डाफ लग जाती है। जिसके कारण अंतिम छोर पर पूरा पानी नहीं पहुंच पाता है। बार-बार आवाज उठाने के बाद नहरों से सिल्ट निकालने के टैडर होते हैं। लेकिन ठेकेदारों के द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर नहर की सिल्ट को पानी में बहाकर इतिश्री कर ली जाती है और ठेकेदार सिंचाई विभाग की मेहरबानी से करोड़ों रुपए डकार जाते हैं।
शनिवार को भी खाजूवाला क्षेत्र में सिंचाई पानी पहुंचने की सूचना पर सीमावर्ती क्षेत्र के गांव अल्लदीन, 34 केवाईडी, 40 केवाईडी, भागु सहित अनेक चको से काफी संख्या में लोग केवाईडी नहर की 7 आईडी पर पहुंचे। जहां पर ठेकेदार के द्वारा सिल्ट निकालने का कार्य एक दिन पहले शुरू किया गया था। लेकिन गिली मिट्टी होने के कारण कार्य नहीं चल पाया। नहर में पानी पहुंचने से पहले ठेकेदार व सिंचाई विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई कि सिल्ट निकालने के दौरान मिट्टी एक जगह इकट्ठी कर दी गई। यहां किसान समय रहते पहुंच गए व इस मिट्टी को बाहर निकलवाया। जिसकी सूचना तत्काल सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को भी दी। इसी तरह बीडी नहर के भी जीरो से टेल तक सिल्ट निकालने के टेंडर हो चुके हैं। लेकिन शनिवार को पानी आने से पहले किसानों के द्वारा ही नहर से मिट्टी निकाली जा रही थी। सिंचाई विभाग अधिकारियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि नहर में पानी आने से पहले नहर का निरीक्षण किया जाए। लेकिन लगता है खाजूवाला में इन नहरों का कोई धरी धोणी नहीं है। किसानों को खेतों में पानी पहुंचाने के लिए खाले की खुदाई के साथ-साथ नहर की खुदाई भी खुद ही करनी पड़ रही है। मौके पर पहुंचे किसानों ने कहा कि सिल्ट निकालने के दौरान सिंचाई विभाग व ठेकेदार के द्वारा बरती जा रही लापरवाही बिल्कुल ही बर्दाश्त नहीं होगी।

वर्जन

365 हैड से निकलने वाली केवाईडी नहर की जीरो से 126 आरडी तक व बीडी नहर की जीरो से टेल तक सिल्ट निकालने के टेंडर हो चुके हैं। आगामी 17 दिन की नहर बंदी में सिल्ट निकालने का कार्य किया जाएगा। 2 दिन पहले मैंने नहर का निरीक्षण कर अधिशासी अभियंता को मौके पर रहकर सिल्ट निकालने के आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए थे। फिर भी अगर विभाग व ठेकेदार के द्वारा लापरवाही बरती जाती है तो लापरवाही बरतने वाले अधिकारी व ठेकेदारों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

रामसिंह अधीक्षण अभियंता जल संसाधन खंड, छतरगढ़।