हनुमानगढ़: टिब्बी इथेनॉल फैक्ट्री पर वार्ता बेनतीजा, प्रशासन ने जांच का दिया आश्वासन, लिखित सहमति नहीं, संघर्ष समिति का आंदोलन जारी

Hanumangarh News: हनुमानगढ़, टिब्बी तहसील के राठीखेड़ा में निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर शुक्रवार देर शाम जिला प्रशासन और फैक्ट्री बचाओ–क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति के बीच कलक्ट्रेट सभागार में वार्ता हुई। करीब दो घंटे तक चली यह बैठक किसी ठोस नतीजे के बिना समाप्त हो गई। वार्ता में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे।

वार्ता शुरू होते ही मीडिया को बाहर कर दिया गया, जिससे बंद कमरे में किन मुद्दों पर चर्चा हुई और किन बिंदुओं पर सहमति बनी, इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। नेता जगजीत सिंह जग्गी ने बताया कि संघर्ष समिति ने फैक्ट्री को बंद करने की मांग रखी, जिस पर प्रशासन की ओर से अस्थायी रूप से कार्य रोकने का मौखिक आश्वासन दिया गया। हालांकि, लिखित आश्वासन देने से अधिकारियों ने इनकार कर दिया।

जग्गी ने कहा कि प्रशासन द्वारा वार्ता की पहल स्वागत योग्य है, लेकिन संघर्ष समिति की मांगों को सरकार तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 10 दिसंबर को टिब्बी में हुई महापंचायत के बाद हुई घटनाओं में ग्रामीणों की भूमिका नहीं थी और आंदोलन को बदनाम करने के लिए रणनीति के तहत वाहनों में आगजनी करवाई गई। संघर्ष समिति ने एक सूत्रीय मांग—फैक्ट्री को बंद करने—पर अड़े रहने की बात दोहराई और ठोस आश्वासन मिलने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया।

वार्ता के बाद जिला प्रशासन की ओर से जारी प्रेसनोट में बताया गया कि प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाई गई आशंकाओं और चिंताओं की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर संघर्ष समिति से दोबारा चर्चा की जाएगी। वहीं ड्यून एथेनोल प्लांट प्रबंधन ने समाधान निकलने तक निर्माण कार्य नहीं करने का आश्वासन दिया है। इस सहमति पत्र पर प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों और संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर भी किए गए।

इस दौरान संघर्ष समिति ने दोबारा तैयार किया गया मांग पत्र कलक्टर को सौंपा। बैठक में सादुलशहर विधायक गुरवीर बराड़, संगरिया के पूर्व विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी सहित कई भाजपा नेता और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। पूर्व विधायक शाहपीनी ने स्पष्ट किया कि आंदोलन से जुड़े दर्ज मामलों में उनका नाम भूलवश सामने आया है।

फैक्ट्री को लेकर क्षेत्र में प्रदूषण, जल दोहन और कृषि भूमि को नुकसान की आशंकाओं के चलते विरोध जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र उपजाऊ कृषि भूमि वाला है और इथेनॉल प्लांट से जल, वायु और भूमि प्रदूषण का खतरा है। किसानों ने सुझाव दिया कि ऐसे प्रोजेक्ट कम आबादी वाले निर्जन क्षेत्रों में लगाए जाएं।

सूत्रों के अनुसार आगामी पंचायतीराज और निकाय चुनावों को देखते हुए सरकार पर दबाव बढ़ा है, जिसके चलते वार्ता की पहल की गई। हालांकि, फैक्ट्री के स्थायी संचालन या बंदी को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। संघर्ष समिति ने 17 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के कलक्ट्रेट घेराव आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा भी की है।