R.खबर ब्यूरो। प्रदेश की ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की कवायद आरम्भ हो गई है। जानकारी के अनुसार इस पुनर्गठन में आबादी और क्षेत्रीय सहूलियत के लिहाज से मौजूदा पंचायतीराज संस्थाओं में बदलाव होंगे, वहीं नई पंचायतों व पंचायत समितियों का सृजन होगा।
इस संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग ने पंचायतीराज अधिनियम 1994 की धारा 101 के तहत पंचायतीराज संस्थाओं की सीमाओं में परिवर्तन को लेकर सभी जिला कलेक्टरों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त डॉ जोगाराम के पत्र के अनुसार 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नव सृजन के मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
इसमें ग्राम पंचायतों के लिए न्यूनतम 3 और अधिकतम 5.5 हजार की आबादी होगी। अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्रों में आबादी 2 से 4 हजार रखी जायेगी। किसी ग्राम के निवासियों की मांग और प्रशासनिक दृष्टि से ग्राम को मौजूदा से दूसरी पंचायत में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन उसकी दूरी 6 किमी से ज्यादा नहीं होगी।
दूरी निर्धारण में कलेक्टर प्रशासनिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से निर्णय कर सकेंगे। लेकिन किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित कर अलग अलग पंचायतों में नहीं किया जायेगा।