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7 हजार स्लीपर बसों का चक्काजाम, लाखों यात्री फंसे, फिलहाल जयपुर हड़ताल से बाहर, RTO की सख्ती से नाराज ऑपरेटर

R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, जैसलमेर और जयपुर में हुए हादसों के बाद परिवहन विभाग की लगातार सख्त कार्रवाईयों से निजी बस संचालकों में हड़कंप मच गया है। इसी के चलते बस मोटर ऑपरेटरों ने भजनलाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रात से पूरे राजस्थान में स्लीपर बसों का संचालन ठप है। जयपुर को छोड़कर प्रदेशभर में करीब 7 हजार स्लीपर बसें सड़कों से हट गई हैं, जबकि जयपुर में लगभग 1000 बसें अभी भी चालू हैं।

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ऑनलाइन बुकिंग बंद, यात्रियों की बढ़ी परेशानी:-

जोधपुर, उदयपुर, कोटा समेत कई जिलों में स्लीपर बसें पूरी तरह खड़ी कर दी गई हैं। ट्रेवल एजेंसियों ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग भी रोक दी है। इसके चलते लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को ट्रेन या अन्य साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है।

जयपुर में हड़ताल पर आज होगा फैसला:-

राजधानी जयपुर में स्लीपर बसें अभी हड़ताल में शामिल नहीं हुई हैं। ऑल राजस्थान कॉन्टैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि जयपुर में आज ऑपरेटरों की बैठक होगी, जिसमें हड़ताल में शामिल होने या नहीं होने को लेकर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेटर तीन महीने का समय मांग रहे हैं ताकि बसों में मौजूद तकनीकी खामियों को सुधारा जा सके।

बस मालिकों का सवाल: सिर्फ प्राइवेट बसों पर कार्रवाई क्यों?

राजेंद्र शर्मा ने सवाल उठाया कि परिवहन विभाग केवल निजी बसों पर कार्रवाई क्यों कर रहा है। उन्होंने कहा, “क्या केवल प्राइवेट बसों में ही एग्जिट गेट नहीं हैं? रोडवेज बसों में भी कई खामियां हैं, फिर उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?”

तीन महीने की राहत की मांग:-

बस ऑपरेटरों ने कहा कि जैसलमेर हादसे के बाद परिवहन विभाग ने तेजी से निजी बसों के खिलाफ सख्ती शुरू की है। यदि बसों में कोई खामी है, तो विभाग को हर बस की जांच कर तीन महीने का सुधार का समय देना चाहिए, ताकि कमियों को दूर किया जा सके।

तीन लाख से अधिक यात्री प्रभावित:-

स्लीपर बसों के ठप होने से हर दिन करीब तीन लाख यात्रियों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। ये बसें दिल्ली, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए नियमित रूप से संचालित होती थीं।

2 नवंबर से राज्यव्यापी चक्का जाम की चेतावनी:-

राजस्थान बस ऑपरेटर एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो 2 नवंबर से पूरे प्रदेश में 20 हजार से अधिक प्राइवेट बसें सड़कों से हट जाएंगी। इसमें ग्रामीण सेवा, स्कूल बसें, स्टेट कैरिज, उपनगरीय और लोक परिवहन बसें भी शामिल होंगी।