लालगढ़ आरओबी: अब मंजूरी के लिए इस जगह जाकर फंसी फाइल, पढ़ें पूरी खबर
बीकानेर। 2017 में भाजपा सरकार में शुरू हुआ था लालगढ़ आरओबी का मामला। कांग्रेस सरकार में एक बार काम गति भी पकड़ा मगर कानूनी दांवपेच में फंस गया। अब पुन: भाजपा सरकार आ गई। दो महीने पहले कानूनी दांव पेच मुक्ति मिली। फाइल बीकानेर से निकल कर जयपुर में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के यहां पहुंची। अनुमति मिलने की उम्मीद थी। ठंडे बस्ते में पहुंच गई। रेलवे चाहता है कि जल्द इसका काम पूरा हो मगर हालात ऐसे हैं कि फाइल हर कदम पर महीनों महीनों पड़ी रह जा रही। दरअसल अक्टूबर की शुरूआत में जब न्यायालय से काम पर लगी रोक हटी तो आरएसआरडीसी ने टाइम बार्ड हो चुके टेंडर को एप्रूव कराने के लिए फाइल मुख्यालय भेजी। मुख्यालय से फाइल उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के पास भेजी गई। उप मुख्यमंत्री के यहां कार्यप्रणाली की बानगी ये है कि दो महीने बाद भी उस फाइल का नंबर नहीं आया।
उधर रेलवे बार-बार आरएसआरडीसी पर दबाव बना रहा कि आरओबी का काम कंपलीट करे। हैरानी की बात ये है कि दो महीने से अटकी फाइल पर चर्चा तक नहीं हो सकी। अगर टेंडर को बरकरार नही रखना तो नए सिरे से टेंडर के आदेश दिए जा सकते हैं क्योंक उस प्रक्रिया में भी दो महीने के करीब लग सकते हैं। अगर पुरानी ही फर्म को काम देना है तो एप्रूव किया जाए ताकि ठेकेदार काम शुरू करे। भाजपा नेता ही कई बार इस बात पर कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके हैं कि लालगढ़ आरओबी पूरा कराने के लिए सरकार से चर्चा करें।
बीकानेर जिले की एक लाख आबादी इसके अधर में रहने से मुश्किल में है। ये आरओबी न बनने के कारण लोगों को पांच किलोमीटर चक्कर काटकर जाना पड़ता है। नेताओं के लिए ये सिर्फ एक फाइल है जबकि बीकानेर की एक लाख से अधिक लोग इस दर्द को झेल रहे हैं। इसके साथ ही लालगढ़ रेलवे स्टेशन जाने वालों को भी इसके कारण भारी परेशानी का सामना करना होता है। ब्रिज के साइड की सड़कों की दशा बहुत खराब है। इसके चलते ज्यादातर आटो चालक उधर जाना ही नहीं चाहते इसके कारण स्टेशन जाने वालों और इस स्टेशन पर आने वालों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। सभी इस इंतजार में हैं कि ओवर ब्रिज का काम पूरा हो तो अन्य निर्माण कार्य पूरा कराया जाय।