नई दिल्ली, भारत में कोरोना का संक्रमण बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर संक्रमण मौजूदा रफ्तार से बढ़ता रहा तो मई के मध्य तक संक्रमित मामलों की संख्या एक लाख से 13 लाख तक हो सकती है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने व्यापक स्टडी के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। उधर, विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि इस महामारी से लड़ने के लिए सिर्फ लॉकडाउन पर्याप्त नहीं है।
बढ़ेगी संक्रमित लोगों की संख्या इस रिपोर्ट (सीओवी-आईएनडी-19) में कहा गया है कि महामारी के शुरुआती चरण में अमेरिका और इटली के मुकाबले भारत पॉजिटिव मामलों को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल रहा है। लेकिन, एक मोर्चे पर चूक दिख रही है। वह है वायरस से प्रभावित मामलों की असल संख्या की जानकारी विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि भारत की 140 करोड़ आबादी को कोरोना गहरे संकट में डाल सकता है। आने वाले कुछ हफ्तों में तेजी के साथ संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ेगी. इससे देश का हेल्थ सिस्टम चरमरा सकता है।
भारत में जांच किये लोगों की संख्या दूसरे देशों के मुकाबले कम वैज्ञानिकों की इस टीम में अमेरिका के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की देबश्री रॉय भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बात जांच के दायरे, जांच के नतीजों की सटीकता और उन लोगों की जांच पर निर्भर करती है जिनमें इस वायरस से संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”अभी तक, भारत में जांच किये गये लोगों की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। व्यापक जांच नहीं होने की स्थिति में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण को रोक पाना असंभव है। इसका यह मतलब है कि हम यह आकलन नहीं कर सकते कि अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों के बाहर कितनी संख्या में संक्रमित व्यक्ति हैं।
देश में आईसीयू बेड और वेंटीलेटर की संख्या बेहद कम उन्होंने कहा, ”भारत के लिये यह जरूरी है कि वह देश में कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने से पहले बेहद कड़े उपायों को अपनाये। उद्योग के अनुमान और अन्य आंकड़ों के आधार पर इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के अध्यक्ष ध्रुव चौधरी ने कहा कि भारत में संभवत: केवल लगभग 100,000 आईसीयू बेड और सिर्फ 40,000 वेंटिलेटर हैं। चौधरी ने भी कहा कि देश में पर्याप्त बुनियादी ढांचा या स्टाफ नहीं है।
वैज्ञानिकों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नयी दिल्ली और मिशिगन विश्वविद्यालय, अमेरिका के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। उन्होंने विश्व बैंक के डेटा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में प्रति 1000 व्यक्ति बेड की संख्या सिर्फ 0.7 है, जबकि फ्रांस में यह 6.5, दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4 और अमेरिका में 2.8 है।
बगैर बीमा वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा वैज्ञानिकों ने कहा कि मामलों की संख्या ज्यादा होने पर भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वालों के लिये इससे निपट पाना असंभव हो जाएगा। रिपोर्ट में भारत की आबादी में शामिल जोखिम वाले समूहों की भी पहचान की गई है। देश में 2014 में बगैर बीमा वाले लोग करोड़ों की संख्या में थे। उन्होंने आगाह किया कि गंभीर रूप से संक्रमित लोगों को-संक्रमितों में से करीब पांच-10 फीसदी को-आईसीयू बेड की जरूरत होगी।
WHOने क्या कहा? विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोरोना के दूसरे स्टेज पर होने पर ही भारत कई उपाय कर रहा है. इसके गंभीर होने से पहले इसे दबाने और नियंत्रित करने में यह कदम मदद करेगा. WHO ने यह भी कहा कि यह प्रयास बहुत ही अच्छे हैं, लेकिन इस महामारी को रोकने के लिए अतिरिक्त आवश्यक उपायों की भी जरूरत पड़ेगी, वरना ये फिर से लौट सकता है। इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर जनरल टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस ने ‘लॉकडाउन’ करने वाले देशों को चेताया है। उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस (COVID-19) का मुकाबला करने के लिए कई देशों द्वारा लागू किए जा रहे लॉकडाउन, दुनिया से वायरस को मिटाने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे।