खाजूवाला, किसान चेतना परिषद् के नेतृत्व में शुक्रवार को आड़त व्यापारियों ने क्रय-विक्रय पर कृषि मण्डी सेंस कृषक कल्याण फीस के रहते उपजे आर्थिक संकट का निवारण करने की मांग प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से पत्र भेजकर की गई है। इस मौके पर व्यापारियों ने नई धान मण्डी में सद्बुद्धि यज्ञ भी किया।
अध्यक्ष हनुमानराम गोदारा ने अवगत करवाया कि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश के अनुसार भारत के समस्त प्रांतों में कृषि उपज के क्रय-विक्रय व मण्डी फीस, किसी भी प्रकार के लेवी, सेस समाप्त कर दिए जाने के कारण और राजस्थान की मण्डियों में कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर कृषि मण्डी सेंस, कृषक कल्याण फीस के रहते उपजे आर्थिक संकट का निवारण करने की मांग किसान चेतना परिषद् ने किया है।
व्यापारियों ने ज्ञापन में मांग करते हुए कहा कि मण्डियों के अस्तित्व को बचाया जाए। राजस्ािान की मण्डियों में अन्य प्रांतों की अपेक्षा किसान को अधिक विश्वास है। किसान मण्डी में माल लाकर बेचने में खुश है। परन्तु भारत सरकार द्वारा लागू किए गए तीन अध्यादेशों द्वारा मण्डियों के बाहर मण्डियों में लगने वाला मण्डी फीस जो वर्तमान में गेहूँ, धान, जौ, दलहन, मसाले तथा कपास पर 1.60 प्रतिशत, तिलहन पर 1 प्रतिशत तथा ज्वार, मक्का, बाजरा तथा जीरा व ईसबगोल पर 0.50 प्रतिशत देय है। राज्य सरकार मण्डी फी व यूजर चार्ज कृषि जिन्स के क्रय-विक्रय पर तथा अन्य वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर लगाती है तथा आड़त 2.25 प्रतिशत घटाकर 2.00 प्रतिशत कर देती है। तो मण्डी में किसान भी माल विक्रय करने आएगा तथा खरीददार भी तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल, मसाला उद्योग, ग्वार गम उद्योग, जिनिंग फैक्ट्री तथा बल्क कन्ज्यूमर सहजता से मण्डी में माल खरीद सकेंगे।

ज्ञापन देते समय व्यापारी मनीराम गोदारा, रामप्रताप भादू, रामेश्वरलाल श्योराण, ओमप्रकाश मान, रामचन्द्र गोदारा, रामकिशन कस्वां, हंसराज कूकणा, नवरतन अग्रवाल, मूलचन्द कोचर, कालू भादू, तोलाराम जाखड़, मदन अरोड़ा सहित दर्जनों व्यापारी उपस्थित रहे।