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https://youtu.be/CGS-GtR_RBQ

खाजूवाला, खाजूवाला सीमावर्ती क्षेत्र होने के साथ-साथ ही पशुपालन वाला क्षेत्र भी रहा है। खाजूवाला क्षेत्र को लेकर लोगों का कहना है कि लगभग 5 दशक पूर्व यहां अगर कोई मेहमान आता था तो उसे पानी की जगह दूग्ध व लस्सी की मनुआर की जाती थी। पूर्व में इस क्षेत्र में पूर्णतया पशु पालन का व्यवसाय ही होता था। लेकिन आज हालात कुछ और है। खाजूवाला क्षेत्र में पानी की कमी, पशु चारे की बढ़ती कीमतों को लेकर आज स्थिति ऐसी हो गई है कि कुछ पशु पालक अपनी पालतु गायों को सुनसान जगहों पर निराश्रित छोडऩे को मजबूर है।

5 दशक पूर्व क्षेत्र में मुख्यतः होता था पशु पालन
गाँव के बुजूर्ग अजीत सिंह पडि़हार बताते है कि इस क्षेत्र में आज से 40-50 वर्ष पूर्व आजीविका का साधन सिर्फ पशुपालन ही था। यहां लोगों के पास सैकड़ों गायें, भेड़ें, बकरियां, ऊँट आदि पशुधन होता था। लोग गायों का दुग्ध निकालकर मावा भी बनाते थे। वहीं दही, लस्सी तथा घी यहां प्रचुर मात्रा में होता था। उस समय 10-15 घर ही खाजूवाला में थे और यहां एक पोस्ट थी तथा बाकी पूरा क्षेत्र जंगल था। तब यहां पशु खुले में चरा करते थे। क्षेत्र अच्छी बारिश के साथ खुब सेवण घास हुआ करती थी और गेहूँ की तुड़ी भी यहां खुब होती थी। लेकिन उस समय लोग अपने पशुओं को तुड़ी नहीं खिलाकर सेवण घास खिलाते थे। जिससे पशुधन स्वस्थ रहते थे और लोग तुड़ी को जलाया करते थे। आज वही तुड़ी 1000-1200 रुपए प्रति क्विंटल हो चुकी है। पूर्व में इस क्षेत्र में वन-विभाग की नर्सरियों में भी लोग लोग अपने पशुधन को चराया करते थे।

क्षेत्र में आज के हालात
खाजूवाला क्षेत्र में आज के हालात देखे तो स्थिति धीरे-धीरे विकट होती जा रही है। क्षेत्र में इस समय पानी की किल्लत है, पानी नहीं होने से लोग हरा-चारा का भी बिजान नहीं कर पा रहे है। वहीं इस बार नहरों में पानी नहीं आने की वजह से क्षेत्र में गेहूँ का बिजान नहीं हुआ। जिसके कारण क्षेत्र में तुड़ी की भयंकर किल्लत हो गई है। तापमान अभी से ही अपना रूद्र रूप दिखाने लगा है। अब चल रही नहरबन्दी के चलते आगे की फसल भी प्रभावित हो जाएगी।

पशुओं को छोड़ रहे निराश्रित
वर्तमान हालात ऐसे हो चुके है। पानी, चारा नहीं होने की वजह से लोग अपने पशुधन को निराश्रित छोड़ रहे है। ऐसा ही कुछ रविवार को देखने को मिला। रविवार को दोपहर में एक पशुपालक ने अपने तीन पशु जिसमें दो गाय व एक बच्छड़े को विरान जगह छोड़ दिया। जिसमें से दो गाय जो कि दुधारू थी। जिसमें से एक गाय को गाड़ी से उतारते समय पीछे के पैर टूट गए। जिसकी वजह से वह इस तेज गर्मी में तड़प रही थी। जिसकी सूचना कुछ युवकों ने साहस फाऊण्डेशन को दी। जिसपर साहस फाऊण्डेशन के हनीफ नागौरी, हिमांशु बजाज सहित युवक मौके पर पहुंचे और गाय को पिकअप गाड़ी में डलवाकर गौ-शाला भिजवाया जहां गाय का ईलाज चल रहा है। लेकिन पीछे बचे एक गाय व बच्छड़ा जो कि काफी दूर अपने साथी गाय के पीछे-पीछे बिलखते हुए गए।

1000 से 1200 रुपए तक हो गए तुड़ी के रेट
क्षेत्र के हालात ऐसे हो चुके है। यहां तुड़ी 1 हजार से 1200 रुपए तक हो चुकी है। वहीं यह हरियाणा पंजाब से मंगवानी पड़ रही है। जिससे किसानों को काफी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कई जनप्रतिनिधियों पत्र देकर क्षेत्र में हर ग्राम पंचायत में चारा डीपों खोलने की मांग भी की है।