रेल हादसा: पुलिस, प्रशासन के पहुंचने से पहले मदद के लिए पुकारते रहे यात्री

अंधेरे और कड़ाके की सर्दी में अपनों की तलाश, तीन किमी पैदल चले

हादसे के बाद मची चीख-पुकार, कई यात्री रोने लगे, एक-दूसरे पर गिरे

पाली, रेल हादसे में जो डिब्बे पलटे, उनमें सवार यात्रियों का बुरा हाल हो गया। एक-दूसरे पर यात्री गिर गए। कांच बिखर गए। चारों ओर अंधेरा था। तेज सर्दी में कुछ समझ पाते, उससे पहले मौके पर रोने व चीख की पुकार सुनाई देने लगीं। यात्रियों की आंखों में आंसू थे। मदद के लिए केवल आपस में ही हाथ बंटा रहे थे। 45 मिनट बाद एम्बुलेंस, पुलिस व प्रशासन मौके पर पहुंचा। यात्री कड़ाके की सर्दी में हाथों में अपने बच्चों व सामान को लेकर खेतों को पार करके कांटों के रास्ते से घटनास्थल से तीन किलोमीटर दूर बोमादड़ा गांव पहुंचे।

यात्री जब पलटे डिब्बों से निकले तो सबसे पहले वे अपनों की तलाश करने लगे। किसी को बच्चा नहीं मिल रहा था तो किसी का सामान मौके पर बिखरा था। अंधेरा होने के कारण कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। वे मशक्कत कर डिब्बों से निकलकर पास में खेतों के रास्तों में भटक गए। वे पास के पड़ासला गांव पहुंच गए। ग्रामीणों ने उनको बोमादड़ा रोड तक पहुंचाया। वहां से प्रशासन की ओर से लगाई गई बसों, कार व एम्बुलेंस से पाली पहुुंचे।

मंत्री बोले-
रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि हादसा सुबह करीब 3 बजकर 27 मिनट पर हुआ। उन्हें 3 बजकर 55 मिनट पर इसकी जानकारी मिली। तब से हम लगातार पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे थे। हादसे के तत्काल बाद रेल अमला अजमेर, जोधपुर, पाली, मारवाड़ से घटनास्थल पर भेजा और राहत कार्य शुरू किया। उन्होंने स्थानीय लोगों के सहयोग की सराहना की। इससे पहले मंत्री वैष्णव शाम सात बजे मौके पर पहुंचे। पाली सांसद पीपी चौधरी, विधायक ज्ञानचंद पारख सहित जनप्रतिनिधियों ने उनकी अगवानी की।