Rajasthan: प्रदेश में होमगार्डों की ड्यूटी को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुख्य सचिव व गृह सचिव को विस्तृत गाइडलाइन जारी की
R.खबर ब्यूरो। जयपुर, राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में होमगार्डों की पारंपरिक रोटेशन प्रणाली और उससे जुड़े आर्थिक-सामाजिक संकट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को अहम निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि हर होमगार्ड को महीने में न्यूनतम 22 दिन की तैनाती सुनिश्चित की जाए।
न्यायमूर्ति फरजंद अली की एकल पीठ ने हरिशंकर आचार्य व अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने मुख्य सचिव और गृह सचिव को तीन महीने में अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार प्रशिक्षित होमगार्डों का अधिकतम उपयोग करे। इनकी पुलिस के साथ समन्वित तैनाती से यातायात नियंत्रण, जनसभा प्रबंधन, आपदा प्रतिक्रिया और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी।
मुख्य निर्देश:-
- न्यूनतम कार्य दिवस: प्रत्येक होमगार्ड को हर महीने कम से कम 22 दिन का कार्य दिया जाए।
- जिलेवार तैनाती: प्रत्येक जिले में औसतन 1000 होमगार्ड पुलिस के साथ तैनात किए जाएं; बड़े जिलों में यह संख्या 1200-1300 तक बढ़ाई जा सकती है।
- संख्या वृद्धि: कुल होमगार्ड्स की संख्या बढ़ाकर 50 हजार की जाए; पिछली बार संख्या 1992 में बढ़ाई गई थी।
- महिला भागीदारी: महिला होमगार्ड्स की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास हों।
- डिजिटल पारदर्शिता: तैनाती प्रक्रिया को होमगार्ड डिप्लॉयमेंट मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाए, जिसमें ड्यूटी, उपस्थिति, भुगतान और बायोमेट्रिक इंटीग्रेशन शामिल हों।
- उत्तर प्रदेश मॉडल: यूपी की तरह निरंतर तैनाती और भत्तों की व्यवस्था का अध्ययन कर राजस्थान में लागू करने पर विचार किया जाए।
- वित्तीय लाभ: होमगार्ड्स को महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए और नियमित पे-स्लिप जारी की जाए।
- समान पारिश्रमिक: वर्दीधारी और गैर-वर्दीधारी होमगार्ड्स के बीच वेतन में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- कार्य-विस्तार: होमगार्ड्स की सेवाओं का उपयोग अब पुलिस के साथ-साथ ट्रैफिक, वन, एक्साइज, स्कूल, अस्पताल और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी किया जाए।
न्यायालय की टिप्पणी:-
पीठ ने कहा कि “स्वयंसेवक के नाम पर होमगार्डों का शोषण, न्याय, समानता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों के विपरीत है।” अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि राजस्थान में करीब 30 हजार पंजीकृत होमगार्ड्स हैं, लेकिन केवल 17 हजार ही नियमित रूप से तैनात रहते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में निरंतर तैनाती मॉडल सफलतापूर्वक लागू है।

