Rajasthan: परिवहन विभाग में बड़े घोटाले का पर्दाफाश, 600 करोड़ नुकसान और रिकॉर्ड जलाने पर 450 अफसर-कर्मिकों पर दर्ज होगी FIR; पढ़े पूरी खबर

R.खबर ब्यूरो। जयपुर, परिवहन विभाग में थ्री-डिजिट वीआईपी नंबरों के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा लगातार नया मोड़ ले रहा है। विभाग ने अब तक 450 से अधिक अफसरों और कर्मचारियों की पहचान कर ली है, जिनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सभी आरटीओ–डीटीओ कार्यालयों को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जारी हो चुके हैं। जयपुर में सबसे ज्यादा कार्रवाई दिखाई दे रही है, जहां 32 मामलों में अफसर और कार्मिक आरोपों के घेरे में हैं।

हर तीसरा कर्मचारी दोषी:-

जांच में सामने आया कि विभाग में लगभग हर तीसरा अधिकारी या कर्मचारी इस गड़बड़ी में सीधे तौर पर शामिल रहा। किसी ने पैसों के लालच में तो किसी ने राजनीतिक या उच्चस्तरीय दबाव में आकर वीआईपी नंबरों की हेराफेरी की।

निर्देश जारी होने के बाद पुलिस के साथ-साथ ईडी और एसीबी भी मामले में सक्रिय हो गई हैं। ईडी ने परिवहन विभाग से इस फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेज और जानकारी औपचारिक रूप से मांगी है।

सरकार को 500–600 करोड़ का नुकसान:-

विभाग की ओर से गठित जांच समिति ने पूरे मामले में 10 हजार थ्री-डिजिट वीआईपी नंबरों की हेराफेरी की आशंका जताई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस फर्जीवाड़े से सरकार को 500 से 600 करोड़ रुपये तक की राजस्व हानि हुई। कई आरटीओ कार्यालयों में वीआईपी नंबर नियमों का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से पंजीकृत कर बेचे गए। कुछ मामलों में तो आरसी, आधार और अन्य दस्तावेज भी फर्जी इस्तेमाल किए गए।

जयपुर से हुआ खुलासा:-

घोटाले का खुलासा सबसे पहले जयपुर आरटीओ प्रथम में हुआ, जहां एक बाबू और सूचना सहायक की हरकतों पर शक गहराया। बाद में आरटीओ प्रथम राजेंद्र शेखावत की जांच में 70 से अधिक थ्री-डिजिट नंबरों को अवैध रूप से दूसरे वाहनों पर ट्रांसफर किए जाने का मामला सामने आया।

एजेंट–अफसर गठजोड़, दबाव भी बड़ी वजह

जांच में सामने आया कि 1989 से पहले जारी थ्री-डिजिट नंबरों को सीरीज बंद होने के बावजूद बिना वाहन मालिक की जानकारी के दलालों और बाबुओं ने मिलकर फर्जी तरीके से दूसरों के नाम कर दिया। फर्जीवाड़ा छुपाने के लिए कई आरटीओ कार्यालयों में रिकॉर्ड गायब कराए गए, और कुछ मामलों में तो दस्तावेजों को जलाने तक की घटना सामने आई। कई वीआईपी नंबर सांसदों, विधायकों, उद्योगपतियों और प्रभावशाली लोगों तक ने खरीदे, उच्च स्तर पर दबाव के बाद बाबुओं ने ऐसे नंबर जारी कर दिए।

विभाग का आधिकारिक बयान:-

प्रकरण में जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। सभी आरटीओ–डीटीओ कार्यालयों को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। — ओपी बुनकर, अपर आयुक्त, परिवहन विभाग