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राजस्थान: सीकर में मिला गुईलेन बैरे सिंड्रोम का मरीज, ICU में किया भर्ती, इन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा, पढ़े पूरी खबर

R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, सीकर से बड़ी खाबर सामने आई है, जंहा सांस की बीमारी और डायरिया के मरीजों में अब महाराष्ट्र में कहर बरपाने वाली ऑटो इम्यून बीमारी गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का खतरा बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में इस प्रकार के मरीज उपचार के लिए आते हैं। चिंताजनक बात है कि सीकर के कल्याण अस्पताल में गुइलेन बैरे सिंड्रोम का एक मरीज अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है। जिसका इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के इंजेक्शन देकर उपचार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि समय पर उपचार मिलने पर मरीज इस बीमारी से ठीक हो जाता है।

चिकित्सकों के अनुसार जीवाणु ओर वायरल संक्रमण के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण मरीज गुइलेन बैरे सिंड्रोम की चपेट में आ जाता है। इस ऑटोइम्यून बीमारी की शुरूआत डायरिया और सांस के संक्रमण से होती है। जिसका समय पर उपचार नहीं मिलने से लकवा भी हो जाता है। कई बार मरीज की मौत तक हो जाती है।

खुद की एंटीबॉडीज करती है हमला:-

चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर यह बीमारी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, लगातार स्टेरॉयड और एंटी कैंसर की दवा लेने वाले मरीज, अंग प्रत्यारोपित करवाने वाले मरीजों में होती है। जीबीएस के मरीजों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही नसों पर हमला करना शुरू कर देती है। जिसके परिणाम घातक होते हैं।

ऐसे में पेट दर्द और डायरिया के 10 दिन या दो सप्ताह बाद पैरों में कमजोरी, दर्द महसूस होने और यह कमजोरी धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़कर हाथों तक पहुंच जाए और हाथ-पैर सुन्न होने लगे तो यह गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का शुरूआती लक्षण होता है। इसके अलावा किसी वायरल, बैक्टीरियल या प्रोटोजोअल बीमारी से ग्रसित हों धीरे धीरे यह चेहरे और आंखों को लकवाग्रस्त कर देता है। जिससे मरीज को कुछ निगलने में भी परेशानी होने लगती है। ऐसे में सावधानी रखने की बेहद जरूरत होती है।