राजस्थान: इस जगह सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य ने महिला शिक्षकों पर गंदी नजर रखने के लिए कपड़े ठीक करने वाली जगह लगाए कैमरे
R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, भरतपुर जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, यंहा उच्चैन स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में महिला अध्यापक की ओर से प्रधानाचार्य के खिलाफ गंभीर शिकायत की गई है। इसमें आश्चर्य की बात यह है कि शिकायत की दूसरी बार जांच हो रही है। पहली शिकायत की जांच रिपोर्ट के बारे में अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। जबकि दूसरी बार जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। अभी तक कमेटी भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकी है। जानकारी के अनुसार अब जांच जिला कलेक्टर की ओर से पत्र आने के बाद एडीएम प्रशासन ने संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा को सौंपी है।
जानकारी के अनुसार आठ अप्रेल 2025 को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय उच्चैन के प्रधानाचार्य के खिलाफ अध्यापिका एवं अन्य महिला स्टाफ ने जिला कलक्टर को लिखित में शिकायत की है। इसमें उल्लेख किया है कि महिला कार्मिकों को जो स्टाफ कक्ष आवंटित किया गया था। इसमें जान-बूझकर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, ताकि महिलाओं पर गंदी नजर रख सकें। चूंकि महिला कार्मिक कपड़े ठीक करने के लिए भी उस कमरे में जाती हैं।
जब प्रधानाचार्य से शिकायत की तो उन्होंने स्टाफ कक्ष पर ताला लगाकर कार्यालय में बैठने को मजबूर किया। जब भी किसी महिला कार्मिक को अवकाश आदि की आवश्यकता होती है तो उन्हें प्रधानाचार्य अपने मोबाइल पर अवकाश मैसेज भेजने व फोन करने को कहते हैं। जानकारी के अनुसार लंबी अवधि के अवकाश चाहने वाली महिला कार्मिकों से बदले में प्राइवेट शिक्षक के नाम पर रुपए वसूल करते हैं। अन्य महिला शिक्षकों से भी सीसीएल के बदले में पैसे लिए हैं। स्कूल से हाल ही में पदोन्नत होकर गई महिला शिक्षक की सर्विस बुक रिव्यू के नाम पर पीएल कम कर दी गई।
विद्यार्थियों के सामने भी महिला शिक्षकों से अपशब्द बोलते हैं। एडीएम प्रशासन ने संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा विनोद कुमार को जांच करने के आदेश दिए है। इसमें पत्र में अंकित तथाकथित बिन्दुओं के संबंध में अपने स्तर से जांच करते हुए बिन्दुवार तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
आरोप… समय पर नहीं मिलता वेतन:-
शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक व्याख्याता व प्रधानाचार्य के मध्य विवाद के कारण स्कूल में आए दिन विभागीय जांच चलती रहती है। इन जांचों में प्रधानाचार्य हमेशा हमें अपने पक्ष में बयान देने के लिए दबाव डालते हैं और यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो अकारण परेशान किया जाता है। कार्मिकों का वेतन भी वर्ष में शायद दो-चार महीने समय पर मिलता है। नहीं तो कोई न कोई बहाना लगाकर हमेशा देरी से वेतन आहरण करते हैं। ताकि प्रधानाचार्य के सामने गिड़गिड़ाएं और बदले में महिला शिक्षकों को सामने बैठाकर अनुचित मांग कर सकें।
अधिकारियों का दबाव… किसी तरह हो जाए राजीनामा:-
बताते हैं कि शिकायत के बाद स्टाफ के अलावा अन्य के भी बयान लिए गए हैं। अभी तक प्रधानाचार्य के खिलाफ शिकायत के दस्तावेज भी एक शिक्षक ने कमेटी के सामने पेश किए हैं। हालांकि एक बात यह भी सामने आई है कि कुछ अधिकारियों ने स्टाफ पर राजीनामा का दबाव भी बनाया गया है। इसमें एसडीएमसी के माध्यम से राजीनामा की कोशिश की गई।