इथेनॉल प्लांट पर हनुमानगढ़ में बवाल: 15 महीने का आंदोलन उफान पर, 510 जवानों की तैनाती से बढ़ा तनाव

R.खबर ब्यूरो। हनुमानगढ़, एक तरफ सरकार प्रदूषण रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर हनुमानगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। कई बार देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो चुके हनुमानगढ़ में अब टिब्बी तहसील के चक पांच आरके रोही राठीखेड़ा में करोड़ों की लागत से इथेनॉल फैक्टरी का निर्माण शुरू किया जा रहा है। स्थानीय लोग इस प्लांट का जोरदार विरोध कर रहे हैं।

पिछले 15 महीनों से धरना दे रहे आंदोलनकारियों के शेड को दो दिन पहले भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हटा दिया गया, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है। प्रशासन ने अभी भी इंटरनेट सेवाएं बंद रखी हैं।

आन्दोलनकारी किसानों का आरोप है कि इथेनॉल फैक्टरी चलने से हवा से लेकर जमीन तक व्यापक प्रदूषण फैलेगा। उनका कहना है कि यह आशंका यूं ही नहीं है—जिला मुख्यालय के रीको क्षेत्र से निकलने वाला हजारों लीटर औद्योगिक अपशिष्ट वर्षों से आसपास के इलाके में बदबू और प्रदूषण फैला रहा है, और इसे रोकने में सरकारी तंत्र कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है।

इसी पृष्ठभूमि में टिब्बी क्षेत्र में जबरन फैक्टरी निर्माण शुरू करना कितना उचित है, यह सवाल अब और तेज हो गया है। फिलहाल यहां करीब 500 पुलिस कर्मियों की तैनाती के बीच कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है।

पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रहा हनुमानगढ़:-

प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो चुका है कि सरकार को ईंट भट्टों को साल में छह महीने बंद रखने का निर्णय लेना पड़ा। पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर और जुर्माना तक लग रहा है, लेकिन फिर भी स्थिति में बड़ा सुधार नहीं हो पाया है।

ऐसे में इथेनॉल प्लांट शुरू होने के बाद क्षेत्र की हवा, पानी और मिट्टी पर क्या असर पड़ेगा—यह फिलहाल कहना मुश्किल है। लेकिन यह भी सच है कि प्रदूषण के मामले में हनुमानगढ़ देश के सबसे प्रभावित जिलों में गिना जाता है।

एएसपी बोले—लोग अफवाहों की वजह से भ्रमित थे

निर्माण स्थल पर लगातार पुलिस बल तैनात है। एएसपी जनेश तंवर ने बताया कि मौके पर 3 एएसपी, 4 डीएसपी, 15 सीआई, आरएसी, बॉर्डर होमगार्ड व पुलिस सहित करीब 510 जवान तैनात किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने झूठी अफवाहें फैलाकर आम नागरिकों व जनता को भ्रमित कर रखा था। लेकिन अब आम नागरिकों के समझ में यह बात आ गई है कि इस इथेनॉल फैक्टरी से इलाके का विकास होगा। आगामी स्थिति के अनुसार प्रशासन की ओर से निर्णय लिया जाएगा।

15 महीनों से चल रहा आंदोलन:-

टिब्बी में इथेनॉल फैक्टरी के खिलाफ 12 अगस्त 2024 को आंदोलन शुरू हुआ था। किसान दिन-रात धरने पर बैठे रहे। कई बार प्रशासन से वार्ता हुई, लेकिन फैक्टरी संचालन पर सहमति नहीं बन सकी। ग्रामीणों को डर है कि फैक्टरी का अपशिष्ट हवा, पानी और मिट्टी को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।


जीरो डिस्चार्ज शर्त पर मिली अनुमति:-

प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों का कहना है कि इथेनॉल प्लांट को “जीरो क्यूसेक वाटर डिस्चार्ज” की शर्त पर अनुमति दी गई है।

कंपनी की डीपीआर के अनुसार:

  • आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा
  • भूजल स्तर मापने के लिए पीजो मीटर स्थापित किए जाएंगे

अधिकारी कहते हैं कि प्लांट से कितना प्रदूषण होगा—यह अभी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि संचालन शुरू होने पर ही इसकी वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।