सावधान खाजूवाला : मंडी में पेयजल सप्लाई के लिए विभाग के पास नही है पानी

खाजूवाला क्षेत्र की बड़ी विडंबना राजनेताओं ने जनता को छोड़ा राम भरोसे।

वोटों की राजनीति करने वालों ने क्षेत्र को बर्बादी की कगार पर लाकर छोड़ा।

गन्दा पानी पीने से बढ़ रही है बीमारियां, पेयजल के लिए पड़ रहे हैं लाले

खाजूवाला, पूरे भारत में मानसून सक्रिय है और जगह-जगह भयंकर बरसात हो रही है लेकिन खाजूवाला क्षेत्र के लिए राम और राज दोनों ही रूठे हुए है। ऐसे में किसान के खेत में खड़ी फसलें जल रही हैं। भयंकर बरसात से कई राज्यों में बर्बादी हो रही है तथा जाने जा रही है लेकिन राजस्थान की इन्दिरा गांधी नहर में पानी नहीं छोड़ने से सिंचाई तो दूर पेयजल के लिए लाले पड़ गये हैं। खाजूवाला के हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं। वही खाजूवाला मंडी में पेयजल का भारी संकट भी आ गया है। खाजूवाला मंडी व आसपास के क्षेत्रों में विभाग का पानी भंडारण समाप्त हो चुका है और लोगों को महंगे दामों में टैंकर डलवाने पढ़ रहे हैं। वही किसानों की फसल खेतों में पानी के अभाव में खराब हो रही है। खाजूवाला से लेकर पूरे नहरी क्षेत्र के सरकारी नुमाईंदों और सरकार ने आंखे मूंदी हुई है।

हिमाचल, उत्तराखण्ड और पंजाब तथा अन्य कई राज्यों में भयंकर बरसात के चलते बाढ़ के हालात पैदा हो गये हैं, वहीं लोगों की जाने जा रही हैं तथा शहर डूब रहे हैं। हिमाचल में भयंकर बरसात के चलते दर्जनों लोगों की मृत्यु भी हो चुकी हैं। बरसात का कहर इतना ज्यादा है कि डैम भर गये हैं और पानी को राजस्थान की नहरों में छोड़ने की बजाय पाकिस्तान भेजा रहा है, जिसका भारत सरकार को मुआवजा भी देना पड़ता है। जब-जब हिमाचल में ज्यादा बरसात होती है तो राजस्थान में पानी के आसार बढ़ते हैं लेकिन वर्तमान हालात तो बिल्कुल उल्टे हैं। हिमाचल और उत्तराखण्ड में भयंकर बरसात के बावजूद भी राजस्थान की नहरों में पानी न छोड़ना नहरी क्षेत्र के किसानों के साथ घोर अन्याय है। क्षेत्र के हालात ऐेसे हो गये हैं जैसे इस क्षेत्र का कोई धणी धोरी नहीं है अन्यथा पेयजल तो आसानी से नसीब होता। राजस्थान सरकार को किसानों के खेत में खड़ी नरमा की फसल सूखी हुई दिखाई नहीं देती अन्यथा ऐसे हालात पैदा ना होते। वातानुकुलित बन्द कमरों में बैठे अधिकारी और जनप्रतिनिधि क्षेत्र के किसानों की पीड़ा को बिल्कुल भी नहीं समझ रहे हैं अन्यथा राजस्थान की नहरों में आज भरपूर पानी होता। नहरों की मरम्मत की नाम पर तीन-तीन महीनें की बन्दी दी जाती है और नहरों की मरम्मत के लिए योजना के नाम पर कुछ नहीं और काम देरी से शुरू होता है, ऐसे में आखिर कौन जिम्मेदार है। जिस-जिस अधिकारी ने लापरवाही कर नहरों की मरम्मत में देरी की है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।


राजस्थान सरकार अगर गम्भीर होती तो इस समय राजस्थान की नहरों में भरपूर पानी होता लेकिन हालात ऐेसे हैं कि नहरों में पानी तो दूर की बात, नहरों के पटड़े टूटे पड़े हैं और मरम्मत का कार्य धीमी गति से चल रहा है, इसका खामियाजा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। महंगे दामों पर जमीन ठेके और हिस्स लेकर कास्त करने वाले किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं। बीज, खाद और खेतों में बुआई का पैदा इतना ज्यादा लग गया है कि किसान कर्ज उतार ही नहीं पा रहा है। किसान के खेतों में जो फसलें खड़ी हैं, वे बिना पानी के मुरझा रही हैं। बीकानेर, अनूपगढ, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चूरू आदि ऐसे जिले हैं जहां सिंचाई पानी पंजाब के हरिके बैराज से आता है और इन जिलों में खाजूवाला, रावला, घड़साना, छत्तरगढ, दंतौर, पूगल, 465 मण्डी, 365 मण्डी, अनूपगढ, विजयनगर, जैतसर, सूरतगढ़, पल्लू, रावतसर, पीलीबंगा, संगरिया आदि दर्जनों मण्डिया आती हैं, जहां लाखों की संख्या में किसान हैं और अगर किसान सब एक हो जाये तो सरकार को झुका सकते हैं और नहरों में पानी छोड़ने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ेगा लेकिन उसके लिए क्षेत्र के किसानों को संगठित होना पड़ेगा।

मंडी में बिगड़ी पेयजल व्यवस्था-
खाजूवाला मण्डी के हालात ऐसे हो गये हैं कि मौहल्लों में 17-17 दिन से पेयजल सप्लाई न होने के कारण आमजन खासा परेशान है। जन अभियांत्रिकी विभाग में सम्पर्क करने पर अब जवाब मिलने लगा है कि नहरों में जब पानी आएगा। तब पानी मिल पाएगा, विभाग के पास पानी उपलब्ध नहीं है।
ज्ञात रहे बीकानेर जैसे शहर में प्रतिदिन पेयजल की सप्लाई दी जा रही है। सरकार के लाखों-करोड़ों रुपये पेयजल योजनाओं के नाम पर खर्च हो रहे हैं और आमजन पेयजल के लिए त्रस्त है। नालियों का गन्दा पानी और धरती का खारा पानी पी-पी कर खाजूवाला वासियों को बुरा हाल हो गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। राज्य सरकार आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के बड़े-बड़े झूटे वायदे कर रही है लेकिन धरातल पर हालात ऐसे हैं कि खाजूवाला में गन्दा पानी पीने से मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।