थाईलैंड नौकरी के नाम पर युवक को म्यांमार साइबर गिरोह को बेचने वाला एजेंट गिरफ्तार, पढ़े पूरी खबर

R.खबर ब्यूरो। राजस्थान, थाईलैंड में नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवक को म्यांमार के साइबर ठगी सिंडिकेट के हाथों बेचने वाले एजेंट को झुंझुनूं पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पीड़ित अविनाश किसी तरह मौत के मुंह से बचकर भारत लौटा, जिसके बाद उसने कोतवाली थाने में एजेंट महेश और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। जांच में यह हैरान करने वाला खुलासा हुआ कि महज 8वीं तक पढ़ा और टेम्पो चलाने वाला महेश लंबे समय से विदेशी साइबर गैंग्स के लिए युवकों की सप्लाई कर रहा था। पुलिस ने आरोपी महेश कुमार को हिरासत में ले लिया है।

80 हजार की सैलरी का लालच देकर फंसाया:-

अविनाश ने पुलिस को बताया कि करीब तीन माह पहले उसकी मुलाकात महेश से हुई थी। महेश ने उसे थाईलैंड में 80,000 रुपये मासिक वेतन वाली नौकरी का लालच दिया। प्रस्ताव पर भरोसा करते हुए अविनाश ने 30,000 रुपये गूगल पे से और 1.70 लाख रुपये नकद देकर कुल 2 लाख रुपये महेश को दे दिए।

कैसे रची गई पूरी साजिश:-

अगस्त के अंतिम सप्ताह में महेश ने अविनाश की फ्लाइट बुक कर उसे थाईलैंड भेज दिया। वहां एयरपोर्ट पर मौजूद एजेंट उसे रिसीव करके सीधे म्यांमार के जंगलों की ओर लेकर गए। वहां पहाड़ी जंगलों के बीच बने कैंपों में अविनाश को बंधक बनाकर रखा गया, जहां कई अन्य देशों के युवक भी कैद थे। कैदियों को अमेरिकी नागरिकों से ऑनलाइन ठगी करने के लिए मजबूर किया जाता था।

रोज़ाना तीन लोगों को ठगने का टारगेट:-

गिरोह ने हर युवक पर प्रतिदिन तीन अमेरिकी नागरिकों को ठगने का लक्ष्य तय कर रखा था। टारगेट पूरा न होने पर एजेंट उन्हें बेरहमी से पीटते थे। अविनाश किसी तरह मौके की तलाश में रहा और जब अक्टूबर के अंत में ठग किसी संभावित कार्रवाई के डर से कैंप छोड़कर भाग निकले, तब वह भागकर थाईलैंड आर्मी की शरण में पहुंच गया। अधिकारियों ने उसे सुरक्षा प्रदान करते हुए 13 नवंबर को भारत वापस भेज दिया।

गिरोह की जड़ों तक पहुंचने में जुटी पुलिस:-

भारत लौटते ही अविनाश ने तुरंत पुलिस को पूरी कहानी बताई। कोतवाली पुलिस ने तेजी दिखाते हुए महेश को गिरफ्तार कर लिया। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि महेश किन विदेशी साइबर नेटवर्क्स से जुड़ा था और अब तक कितने युवकों को म्यांमार के इन खतरनाक सिंडिकेट्स के हवाले कर चुका है।