बीकानेर में यहां मलबा उगल रहा सोना-चांदी, पूरे दिन होती है छनाई, रात-दिन रहता है पुलिस का कड़ा पहरा
बीकानेर। मलबे से खजाना मिलने की खबर जितनी सुनने में आकर्षक लगती है, कहीं इससे अधिक इस मलबे में गम दबा हुआ है। इसी मलबे ने जिन 11 लोगों की जिंदगी छीन ली, उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ है। करीब ढाई महीने बाद भी जब मलबे से आभूषण बनाने के औजार मिलते हैं तो परिजनों की आंखें नम हो जाती हैं। सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक रोजाना मलबे की छनाई का काम जारी है, जो अभी कई दिनों तक चलने वाला है। दरअसल, यह पूरा मामला बीकानेर जिले के सिटी कोतवाली इलाके के पास स्थित मदान मार्केट से जुड़ा है। यहीं पर मौजूद एक बहुमंजिला इमारत बीती 7 मई को ढह गई थी। इमारत के मलबे में दबने से 11 लोगों की जान चली गई थी। मार्केट में सोने-चांदी के आभूषण तैयार करने वाले कई कारीगरों की दुकानें थी।
चीख-पुकार के बीच किसी ने नहीं देखे गहने
हादसे के बाद मलबे को को हटाकर पहले शवों को बाहर निकाला गया था। इस बीच सोना-चांदी कहां दब गया भला इसका ध्यान किसी का कहां जाता, क्योंकि सोने-चांदी से ज्यादा अपनों को खोने का गम भी इसी मलबे में दब गया था। लेकिन यह भी सच था कि इसी मलबे के नीचे लाखों कीमत के आभूषण भी दबे थे। हादसे को हुए करीब ढाई महीने का वक्त बीत गया लेकिन अब भी मलबे की छनाई चल रही है। हादसे के बाद पूरे मलबे को ट्रैक्टर ट्रॉलियों में भरकर पुराने जेल परिसर में खाली पड़े मैदान में रखवा दिया गया था, लेकिन सोने-चांदी के आभूषण होने की वजह से इस मलबे के पास किसी को जाने नहीं दिया जाता। इस मलबे की निगरानी का जिम्मा नगर निगम के पास है।
अपनों के औजार देख नम हो जाती हैं आंखें
मलबे की छनाई के दौरान मदान मार्केट हादसे में अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले परिवार भी आते रहते हैं। जैसे-जैसे मलबे को छाना जा रहा है सोना -चांदी के आभूषण, स्वर्ण व्यवसाय में काम आने वाले औजार, डाई, डाई कटिंग पीस आदि भी निकल रहे हैं। ऐसे में अपने परिवार की दुकानों के औजार देखकर कई बार परिजनों की आंखें भी नम हो जाती हैं।