











खाजूवाला, एक तरफ जहां मनरेगा योजना में पारदर्शिता लाने के दावे सरकार व जिला प्रशासन कर रहा है वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र की ग्राम पंचायत आनंदगढ़ में मामला इसके एकदम उल्टा नजर आ रहा है। यहां सरपंच व उनके पुत्र द्वारा फर्जी तरीके से मस्टरोल ऑनलाइन करने व भुगतान उठाकर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। मजे की बात है कि सरपंच पुत्र स्वयं ग्राम विकास अधिकारी है एवं जिले से बाहर कार्यरत है। आमजन को मनरेगा योजना पर नहीं लगाकर अपने चहेते लोगों के नाम गुपचुप तरीके से ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत लगाये जा रहे है। ना तो धरातल पर कहीं काम चल रहा है एवं ना ही कोई श्रमिक नियोजित है। जिसकी ग्रामीणों द्वारा बार-बार जिला कलेक्टर, जिला परिषद् सीओ, उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी आदि को शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जिससे ऐसा लगता है कि मानों भ्रष्टाचारियों के पोबारा पाच्चीस है। ग्रामीणों की मांग है कि भ्रष्ट जनप्रतिनिधि व भ्रष्टाचार में लिप्त सभी लोगों पर सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए।
ग्रामीण दौलतराम व बाबुदान ने बताया कि ग्राम पंचायत आनन्दगढ़ सरपंच व उसके पुत्र द्वारा 2020 से लेकर जून 2021 तक नरेगा के तहत लाखों रुपए के कार्य करवाना दिखाए गए लेकिन यह कार्य कागजों में ही हुए है। सरपंच के पुत्र खुद ग्राम विकास अधिकारी पद पर गडऱा रोड़ बाड़मेर में कार्यरत है। जो कि ऑनलाईन मस्ट्रोल भरता है तथा नरेगा श्रमिकों के फर्जी नाम लिखकर तथा अपने चहेते लोगों के नाम लिखता है। जिससे वह आधी राशि वापस भी वसूलता है। पंचायत में एक लड़का इनके लिए काम करता है तो मनरेगा मजदूरों से रुपए एकत्रित करता है। आनन्दगढ़ ग्राम विकास अधिकारी भी पंचायत में नहीं आते है। वहीं ग्राम विकास अधिकारी का कार्य भी ई-मित्र संचालक लड़का सम्भालता है।
बता दें कि मनरेगा में दर्जनों ऐसे लोगों के नाम भी है जो अन्य जिलों में निवास करते है तथा मूल निवास आनन्दगढ़ के है। जिसमें देवी सिंह पुत्र ईश्वर सिंह, देवी सिंह पुत्र महेन्द्र सिंह जो जयपुर में निवास करते है लेकिन मनरेगा में वे आनन्दगढ़ पंचायत में मजदूरी करते है। पूनमदान बज्जू रहता है, वैणीदान व जामदान जैसलमेर रहते है। वहीं ओमप्रकाश नागौर तथा सत्यनारायण सत्तासर रहते है। लेकिन कागजों में ये भी मनरेगा के मजदूर है। सरपंच ने पिछले लगभग एक वर्ष में लगभग 41 लाख रुपए रुपए का कार्य करवाया है। जिसमें से सरपंच ने आधे रुपए वसूल कर लिए है।

ये कार्य काम हुए स्वीकृत
ग्रामीण बाबुदान ने बताया कि ग्राम पंचायत आनन्दगढ़ में अप्रेल 2021 में पटड़ा बनाना व मिट्टी हटाना आरडी 50 से 58 तक 2.53 लाख रुपए, पटडा बनाना व मिट्टी हटाना केएलडी नहर की आरडी 38 से 48 अप्रेल 2021 2.35 लाख, पटडा बनाना व मिट्टी हटाना एमडब्ल्यूएम माईनर मार्च 2021 3.65 लाख रुपए, पटड बनाना व मिट्टी हटाना 39 केजेडी के चार अलग-अलग मस्ट्रोल से 2.49 लाख रुपए, नहर से टेल तक पटड बनाना व मिट्टी हटाना 15 डीडब्ल्यूडी चार अलग-अलग मस्ट्रोल से 3 लाख 10 हजार रुपए, 16 केएलडी में दो अलग-अलग मस्ट्रोल से 1 लाख 10 हजार, 11 डीडब्ल्यडी में चार अलग-अलग मस्ट्रोल से 2 लाख 32 हजार रुपए, 19 डीडब्ल्यूडी बी में पाँच अलग-अलग मस्ट्रोल से 3 लाख 48 हजार, 9 केएलडी में पाँच मस्ट्रोल में 1 लाख 40 हजार रुपए, 13 केएलडी में 6 अलग-अलग मस्ट्रोल से 2 लाख 45 हजार, 15 केएलडी में 5 अलग-अलग मस्ट्रोल से 3 लाख 55 हजार, आरडी 38 से 48 तक 5 अलग-अलग मस्ट्रोल से 3 लाख, खाला डाट कवरिंग के कार्य में चक 18 डीडब्ल्यूडी ए, 18 डीडब्ल्यूडी सी, 19 डीडब्ल्यूडी बी, 17 केएलडी में 3 लाख 15 हजार रुपए की राशि का कार्य करवाया दर्शाया गया है। वहीं 39 केजेडी जोहड़ खुदाई में 4 लाख 72 हजार 149 रुपए का कार्य करवाया दर्शाया गया है। लेकिन इस मामले में मस्ट्रोल द्वारा कोई कार्य नहीं करवाया गया है। लेकिन शिकायत कर्ता द्वारा शिकायत करने पर यहां जेसीबी मशीन से दो दिन पहले खुदाई कार्य किया गया है। जिसकी तस्वीरें भी ग्रामीणों ने ले ली है। ग्राम पंचायत में कुल नवम्बर 2020 से लेकर जून 2021 तक लगभग 41 लाख रुपए की राशि मनरेगा में स्वीकृत करवाई। जिसका भुगतान श्रमिकों के खातों में आते ही उनसे आधे रुपए वापस वसूल कर लिए गए है।
इस सम्बन्ध में शिकायत
ग्राम पंचायत आनन्दगढ़ में मनरेगा के तहत हो रहे फर्जी बाड़े की शिकायत ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों को की। जिसमें जिला कलेक्टर, जिला परिषद् सीओ, उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी तथा मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर भी शिकायत की है। लेकिन पिछले एक माह से शिकायत करने के बावजूद अधिकारियों द्वारा सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं हो पाई है।
वर्जन
खाजूवाला के आनन्दगढ़ से इस सम्बन्ध में मंगलवार को मेरे पास शिकायत पहुंची है। जिसकी जाँच हेतु विकास अधिकारी खाजूवाला को पत्र दिया गया है। आगामी दिनों में शिकायत की जाँच करवाकर उचित कार्यवाही की जाएगी।
ओमप्रकाश मेहरा
मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद्, बीकानेर।


