











दिवाली पर नए घर में होना था शिफ्ट अब पहुंचेगी एक साथ 5 लोगों की लाश, रुला देगी जैसलमेर बस अग्निकांड की ये दर्दनाक कहानी
R.खबर ब्यूरो। जोधपुर, नया आशियाना तैयार था — दीवारों पर सपनों की रंगत थी, और दीपावली से पहले घर में खुशियों की गूंज सुनने की उम्मीद थी। लेकिन किसे पता था कि वह घर अब सिर्फ सन्नाटे और शोक की गवाही देगा। महेन्द्र मेघवाल और उनका परिवार, जिन्होंने अपनी मेहनत और उम्मीदों से यह घर बनाया था, जिंदगी की बेरहमी के आगे कुछ पल भी उसमें बिता नहीं पाए।
दीपावली से पहले उजड़ गया पूरा परिवार:-
जैसलमेर के भीषण बस अग्निकांड में महेन्द्र मेघवाल, उनकी पत्नी और तीन मासूम संताने — खुशबू (8), दीक्षा (6) और शौर्य (4) सबकी मौत हो गई। जिस दीपावली की तैयारी वे अपने नए घर में करना चाहते थे, अब उसी घर में शोक का साया और खामोशी फैल गई है।
बुधवार को लवारन गांव में हर चेहरा गमगीन था। ढाणी में महिलाओं के करुण विलाप और रिश्तेदारों की रुलाई ने वातावरण को और भी भारी बना दिया। पूरा गांव इस त्रासदी में डूबा रहा।
‘नया घर बसाने का सपना अधूरा रह गया’
महेन्द्र मेघवाल जैसलमेर के गोला-बारूद डिपो में जवान के रूप में तैनात थे। परिवार आमतौर पर जैसलमेर की इंद्रा कॉलोनी में रहता था, लेकिन वे अक्सर छुट्टियों में गांव लौटकर अपनी वृद्ध मां गवरी देवी और बड़े भाई के परिवार के साथ समय बिताते थे। कुछ वर्ष पहले ही उन्होंने पुरानी ढाणी से थोड़ी दूरी पर नया आशियाना बनवाया था। यह वही घर था, जिसमें वे दीपावली पर प्रवेश करने की सोच रहे थे। अब वही घर परिवार के बिना सूना रह जाएगा।
गांव में पसरा मातम, डीएनए जांच के बाद होगा अंतिम संस्कार:-
हादसे की खबर फैलते ही गांव में मातम छा गया। मृतकों के शवों को पहचान के लिए डीएनए जांच हेतु जोधपुर भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद शव लवारन गांव लाए जाएंगे, जहां गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा।
लवारन के पूर्व सरपंच मोमता राम मेघवाल ने बताया, “महेन्द्र परिवार सहित गांव आने वाले थे। नया घर तैयार था, लेकिन अब खुशियों की जगह उनकी अर्थियां वहां पहुंचेगी।”
गांव बोला – मेहनती और परिवार के प्रति समर्पित थे महेन्द्र:-
गांव के लोग और रिश्तेदार आज भी यकीन नहीं कर पा रहे कि महेन्द्र अब नहीं रहे। गांववालों का कहना है कि वे मेहनती, जिम्मेदार और परिवार के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। उनका जाना सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए अपूरणीय क्षति है।

