रबी की फसल के लिए चाहिए दो और पानी की बारियां, पानी के बिना बर्बाद हो जाएगी क्षेत्र की फसलें

खाजूवाला, सिंचित क्षेत्र के किसानों को हर बार अपने हक के पानी की मांग को लेकर आन्दोलन करना पड़ता है। रबी फसल के लिए अक्टूबर महीने में जारी हुआ रेगुलेशन तीन में से एक समूह लागू किया गया था। हालांकि उस समय किसानों ने इसका भी पुरजोर विरोध किया। दिसंबर महीने तक विरोध करते-करते किसानों को आखिरकार तीन में से एक समूह यानी कि 17 दिन बाद नहरों में पानी का रेगुलेशन मानना ही पड़ा। रबी फसल के लिए किसान चाहते हैं कि 4 में से 2 समूह यानी की साप्ताहिक पानी देकर किसानों को रबी फसल की बिजाई करवानी चाहिए। रबी फसल के लिए खाजूवाला, रावला, घड़साना, अनूपगढ़ व सुरतगढ़ आदि प्रथम चरण के किसानों को पानी की मांग के लिए आंदोलन करना ही पड़ता है। चाहे सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस किसानों को आंदोलन झेलना ही पड़ता है। देशभर में लगे लॉकडाउन के चलते राजस्थान फीडर नहर का निर्माण नहीं होने के कारण खरीफ फसलों के लिए साप्ताहिक पानी अवश्य मिला था। लेकिन सरसों, गेहूं, चने के अच्छे उत्पादन की आस लगाए किसानों को आखिरकार धोखा ही मिला। किसानों की आंखों के सामने बर्बाद हो रही फसलों को देखते हुए किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई दे रही है। रेगुलेशन के मुताबिक 9 फरवरी को अनूपगढ़ ब्रांच में पानी छोड़ा जाएगा। लेकिन इस पानी पर भी ग्रहण लगता हुआ नजर आ रहा है। मार्च महीने में अतिरिक्त पानी की आस लगाए बैठे किसानों को 9 फरवरी को मिलने वाले पानी पर भी संशय बना हुआ है। हालांकि सिंचाई विभाग के अधिकारी इस बात का दावा कर रहे हैं कि किसानों को फरवरी में मिलने वाला रेगुलेशन का पानी अवश्य मिलेगा। राजस्थान फीडर में पाइपिंग होने के कारण पानी थोड़ा देरी से छोड़ा जा सकता है। सिंचाई विभाग द्वारा जारी किया रेगुलेशन इसी फरवरी महीने में समाप्त हो जाएगा ऐसे में किसानों को यह चिंता सता रही है कि आगामी मार्च महीने में फसलों को सिंचित कैसे करेंगे। खेतों में पकाव पर खड़ी सरसों, चने, गेहूं की फसल को पकाना नामुमकिन सा लग रहा है।
गौरतलब 9 फरवरी को अनूपगढ़ शाखा में छोड़े जाने वाले सिंचाई पानी पर भी संशय बना हुआ है जिसका बड़ा कारण यह है कि पंजाब में स्थित राजस्थान फीडर की नहर 383 आरडी पर पाइपिंग होने के चलते हरिके बैराज से पानी कम कर दिया गया है। ऐसे में 9 फरवरी को अनूपगढ़ शाखा में दिए जाने वाले सिंचाई पानी भी किसानों की उम्मीदें धूमिल नजर आ रही है। किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि इस फरवरी महीने में साप्ताहिक पानी के अलावा मार्च महीने में भी एक अतिरिक्त सिंचाई पानी दिया जाए ताकि खेतों में मुरझा रही फसलों को सिंचित कर बचाया जा सके। हालांकि इस बार सरसों के अच्छे भावों से किसानों को उम्मीद जगी है कि अगर उत्पादन अच्छा होता है तो किसान खुशहाल होंगे। लेकिन भाजपा और कांग्रेस की सियासत के बीच फंसा सिंचाई पानी किसानों को नहीं मिल पाता है। किसान अब आंदोलन करते करते ऊब चुके हैं। किसान बार-बार सरकार से रबी फसर को पकाने के लिए आंदोलन का सहारा लेता है। सरकार कभी भी आंदोलन के दबाव में पानी नहीं देती है। क्षेत्र के किसान भी अलग-अलग पार्टियों व संगठनों में बंट चुके हैं। जब जब चुनाव होते हैं तब तक राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस क्षेत्र के वोट बटोरने के लिए किसानों को लुभावना पानी देकर सिंचित इलाके के किसानों को पानी देने का बड़ा ख्वाब दिखाकर वोट बंटोर लेते हैं, लेकिन ढाक के वही तीन पात। आखिरकार इस क्षेत्र के किसानों को सरकार के साथ पानी के लिए दो-चार होना ही पड़ता है।
2004 का किसान आंदोलन जिसमें सिंचाई पानी की मांग करते हुए इसी अनूपगढ़ ब्रांच के 6 किसान शहीद हुए थे। किसानों की पीड़ा यह है कि पोंग डैम में पर्याप्त पानी होने के बावजूद भी क्षेत्र के किसानों को पानी नहीं दिया जा रहा है। हालांकि पिछले वर्ष भी पोंग डैम से पानी पाकिस्तान को छोड़ा गया था। केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी इस क्षेत्र के किसानों के साथ सियासत खेल रहे हैं। जब राजस्थान में भाजपा की सरकार होती है तो मंत्री साहब कहते हैं कि दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक कर पंजाब से अतिरिक्त पानी लेने के प्रयास किए जाएंगे। जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होती है तो सीधी सीधी सियासत शुरू कर देते हैं।

9 फरवरी को मिलने वाले पानी पर संकट के बादल
पंजाब में स्थित राजस्थान फीडर की मुख्य नहर की आरडी 383 पर पाइपिंग होने के चलते पोंग डैम से पानी कम कर दिया गया है। इस समय 3000 क्यूसेक पानी लिया जा रहा है ऐसे में 9 फरवरी को अनूपगढ़ शाखा में सिंचाई पानी छोड़ा जाना है। अनूपगढ़ ब्रांच के किसानों का कहना है कि अगर पानी देरी से पहुंचता है तो भी पूरा साप्ताहिक पानी चलाया जाए।

पाकिस्तान जाने वाले पानी को यहां के किसानों को दिया जाए
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रदेश संयोजक नरेंद्र आर्य ने बताया कि 2019 में फरवरी महीने में पोंग डैम में 1348 फीट पानी था। उस समय 30 फीट पानी पाकिस्तान के लिए छोड़ा गया था। 2020 में 1365 पानी था तब भी पोंग डैम के लेवल से 40 फीट पानी पाकिस्तान में छोड़ा गया था। इस बार 1331 फीट पानी होने के बावजूद भी क्षेत्र के किसानों की फसलों को पानी के अभाव में बर्बाद किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मई महीने में पोंग डैम का लेवल 1301 फिट तक लिया जा सकता है। ऐसे में मार्च महीने के बाद मई महीने तक यानी कि 70 दिनों की नहर बंदी रहेगी। ऐसे में मई महीने की बजाय मार्च तक पोंग डैम का लेवल 1301 फीट तक लेकर क्षेत्र के किसानों को चार में से दो समूह देकर किसानों की फसलों को बचाया जा सकता है।
वर्जन
गंगानगर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार से सिंचाई पानी को लेकर बात भी हुई है। अनेक किसान संगठनों व शिष्टमंडल के साथ मिलकर बात भी की गई है। मार्च महीने के लिए अतिरिक्त पानी चलाया जाता है तभी क्षेत्र में फसले पक पाएगी। सिंचाई अधिकारियों से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। मार्च महीने में मिलने वाले पेयजल को बढ़ाकर 7 दिन तक नहरे चलाई जाए ताकि बर्बाद हो रही फसलों को बचाया जा सके। 9 फरवरी को अनूपगढ़ शाखा में छोड़े जाने वाला सिंचाई पानी 2550 क्यूसेक पानी साप्ताहिक चलाया जाए।
महेंद्र तरड़
प्रेस प्रवक्ता, किसान मजदूर व्यापारी संघर्ष समिति

वर्जन
पंजाब राज्य में राजस्थान फीडर की आरडी 383 में पाइपिंग होने के चलते हरिके बैराज से पानी कम किया गया है। गुरुवार शाम तक मुख्य नहर में 5000 क्यूसेक पानी लिया जा रहा था। संभवत 6000 क्यूसेक पानी ही लिया जाएगा। एक-दो दिन में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी उसके पश्चात ही इसी पानी को बांटकर नहरों में सिंचाई हेतु पानी दिया जाएगा। पंजाब सरकार व पंजाब के सिंचाई अधिकारियों से पानी बढ़ाने को लेकर बात की जा रही है। रेगुलेशन के हिसाब से अब पूरा सिंचाई पानी मिलना मुश्किल है।
भगवानाराम बिश्नोई
रेगुलेशन अधीक्षण अभियंता, हनुमानगढ़