खाजूवाला, आज पूरे देश में बहुत उत्साह से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। गणेशोत्सव की शुरुआत साल 1894 में कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के भारी विरोध की परवाह किए बिना लोकमान्य तिलक ने इस गौरवशाली परंपरा की नींव रख दी थी।

गणेशोत्सव की परंपरा शुरू करने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किल और विरोध का सामना करना पड़ा था। अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में सावर्जनिक गणेशोत्सव लोगों को एकजुट करने का ज़रिया बना। अंग्रेजों के खिलाफ लोगों की एकजुटता के लिए तिलक ने धार्मिक मार्ग चुना।

गणेश चतुर्थी के बाद दस दिनों तक लगातार गणेश उत्सव की धूम देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी लोक आस्था से तो जुड़ा हुआ पर्व ही हुआ है लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में भी इसका खासा महत्व रहा है।