R खबर, एक अनोखी परंपरा जो है अटूट, एक सेकेंड भी बाधित नही होती। आंधी हो या तूफ़ान लाइट हो या नही, परिस्थिति कैसी भी हो जाए, लेकिन एक सेकेंड भी सुंदरकांड का पाठ रुकता नहीं है।
बीकानेर से 60 किलोमीटर दूर पुनरासर मंदिर में यह अखण्ड पाठ चल रहा है। पूनरासर हनुमान मंदिर के पुजारी संपतजी का कहना है कि मंदिर में ही खेजड़ी के पास सुंदरकांड पाठ परिवार की ओर से शुरू किया गया था। 20 साल पहले पाठ के दौरान ही तय किया कि इसे दो से तीन दिन लगातार करेंगे। लेकिन, तीन दिनों में ही यहां सुंदरकांड पढ़ने वाले श्रद्धालु जुड़ते गए। इसके बाद यह सिलसिला 20 साल से चलता आ रहा है। एक सेकेंड भी सुंदरकांड का पाठ रुकता नहीं है।
सुंदरकांड के लिए बकायदा श्रद्धालुओं की ड्यूटी लगती है। यहां तीन-तीन घंटे से भक्तों की ड्यूटी लगती है। इनमें 8-8 लोग हमेशा रहते हैं। किसी की ड्यूटी रात बारह बजे खत्म होती है तो दूसरी ड्यूटी वाला दस मिनट पहले ही पहुंच जाता है। वो उसके साथ पाठ शुरू करता है और दस मिनट बाद पहली ड्यूटी वाला हट जाता है।
यहां हर साल ऋषि पंचमी के बाद आने वाले पहले मंगलवार या शनिवार को मेला भरता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं। आमतौर पर मेला सितम्बर महीने में होता है।
पूनरासर के पुजारी संपतजी का कहना है कि ये शक्ति का पाठ है। देश की शांति और सुरक्षा के लिए ये पाठ शुरू किया गया था। आज दिन तक एक सेकंड के लिए भी बंद नहीं हुआ है। उनका दावा है कि देशभर में ये एकमात्र स्थान है, जहां पिछले बीस साल से सुंदरकांड का पाठ हो रहा है।