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R खबर, तीन मई को राजस्थान के जोधपुर में पुलिस को उस समय लाठीचार्ज करना पड़ा, जब ईद की नमाज के बाद हजारों नमाजी जालोरी गेट पर जमा होकर हंगामा करने लगे। अल्लाह हू अकबर के नारों तक तो पुलिस चुप रही, लेकिन जब कुछ शरारती तत्वों द्वारा पतथर फेंके गए तथा वाहन को क्षतिग्रस्त किया जाने लगा, तब पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। प्रत्यक्षदॢशयों के अनुसार जालोरी गेट पुलि चौकी को भी नुकसान पहुंचाया गया। दुकानों में भी तोडफ़ोड़ की गई है। उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। हालांकि अब हालात नियंत्रण में हैं। लेकिन प्रशासन ने जोधपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है। असल में ईद की नमाज के बाद का विवाद दो मई की रात की घटनाओं से जुड़ा है। 3 मई को परशुराम जयंती को देखते हुए जालोरी गेट चौराहे पर भगवा झंडा लगाया गया, लेकिन रात को कुछ लोगों ने भगवा झंडा हटा कर इस्लामिक झंडा लगा दिया। इस्लामिक झंडा लगाने वालों ने जब युवक को वीडियो बनाते देखा, तब माहौल अचानक गर्म हो गया। वीडियो बनाने वाले युवक की बुरी तरह पिटाई की गई। इस पिटाई के बाद दूसरे पक्ष के लोग एकजुट हुए और उन्होंने जालोरी गेट चौराहे पर से इस्लामिक झंडा हटा कर फिर से भगवा झंडा लगा दिया। इस बीच कुछ उत्साही युवको ने ईद की नमाज के लिए लगे लाउडस्पीकर भी हटा दिए। 2 मई की रात को ही दोनों पक्ष आमने सामने हो गए।

जोधपुर के बुजुर्गों के अनुसार यह पहला अवसर रहा, जब जालोरी गेट पर इस्लामिक झंडा लगाया गया। आमतौर पर ईद की नमाज शांतिपूर्ण तरीके से होती है, लेकिन 3 मई को जोधपुर में ईद की नमाज के बाद जबर्दस्त हंगामा हुआ। हालांकि नमाज के बाद उपद्रवियों को लाठीचार्ज कर पुलिस ने खदेड़ा दिया, लेकिन इसके बाद भी लोग कबूतर चौक और अन्य स्थानों पर एकत्रित होकर रणनीति बनाते रहे। राजस्थान का जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है। गहलोत जोधपुर शहर से ही कांग्रेस के विधायक हैं। गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ने गत लोकसभा का चुनाव जोधपुर से ही लड़ा थ, लेकिन वे चार लाख मतों से गजेंद्र सिंह शेखावत से चुनाव हार गए। गृह जिला होने के कारण मुख्यमंत्री गहलोत का ज्यादा फोकस जोधपुर पर रहता है। 2 अप्रैल को करौली की हिंसा के लिए गहलोत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था। असल में साम्प्रदायिक हिंसा में गहलोत का रुख एक तरफा रहता है।

गहलोत अब बताएं कि 3 मई को ईद की नमाज के बाद नमाजियों पर पुलिस को लाठीचार्ज क्यों करना पड़ा? नमाज के बाद तो जालोरी गेट चौराहे पर हिन्दुत्ववादी संगठनों के लोग नहीं थे। पूरा चौराहा नमाजियों से ही भरा था। यह सही है कि आम नमाजी का हंगामे से कोई सरोकार नहीं है। शांति प्रिय किसी भी नमाजी ने ईद के मौके पर पत्थर भी नहीं फेंके और न ही पुलिस चौकी, दुकानों तथा वाहनों में तोडफ़ोड़ की, लेकिन इस भीड़ में ऐसे तत्व शामिल थे जो जालोरी गेट चौराहे पर इस्लामिक झंडा लगाने के पक्षधर रहे।

जानकारों की मानें तो सरकार की खुफिया एजेंसियों और प्रशासनिक तंत्र भी मुख्यमंत्री के गृह जिले में फेल रहा। सवाल उठता है कि जब दो मई की रात की घटनाएं हुई, तब तीन मई को ईद की नमाज के बाद हालातों का आकलन क्यों नहीं किया गया? यदि हालातों का आकलन किया जाता तो नमाज के बाद न तो पथराव होता और न ही पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ता। हालांकि अब सीएम गहलोत ने भी जोधपुर वासियों से शांति की अपील की है।

शेखावत का धरना :- जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उपद्रव के बाद जालोरी गेट चौराहे पर धरने पर बैठ गए हैं। शेखावत उपद्रव की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग कर रहे हैं। शेखावत के साथ जो समर्थक धरना स्थल पर बैठे हैं वे हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। शेखावत के धरने पर बैठने से राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है। उधर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि राजस्थान में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सुनियोजित तरीके से साम्प्रदायिक दंगे करवाए जा रहे हैं। इसके पीछे भाजपा और संघ की साजिश है।