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नागौर, पूर्णाराम राजस्थान में जगत मामा के नाम से जाने जाते हैं। पूर्णाराम खुद पढ़ नहीं सके, लेकिन उन्होंने गांवो के बच्चों को पढ़ने के लिए खुद से बन पाया किया। बच्चों में 4 करोड़ से ज्यादा रुपए की नकद राशि इनाम के तौर पर बांट चुके हैं। 4 दिन पहले 90 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है।

जगतमामा कई स्कूलों में घूमते हुए जाते रहते थे। उन्हें जहां भी रुकने को जगह मिलती वहीं रात को रुक जाते थे। अगली सुबह फिर से वही दिनचर्या अपनाते थे। वह जिस स्कूल में पहुंचते उसमें होनहार बच्चों की पहचान करके उन्हें 100 से 1000 रुपए तक का इनाम देते थे। साथ ही बच्चों को हलवा पूड़ी खिलाने और जरूरतमंद बच्चों की प्रवेश फीस से लेकर किताब, स्टेशनरी, बैग व स्कॉलरशिप तक की व्यवस्था भी करते थे।

ग्रामीणों से पता चला कि जगत मामा ने बच्चों के लिए 300 बीघा जमीन भी बेच दी। उससे जो रुपए मिले उन्हें स्कूल और भामाशाह के सहयोग से बच्चों को इनाम के तौर पर बांट दी।

गांव के हरिराम व सहीराम रेवाड़ ने बताया कि जगत मामापूर्णा राम ने जीवनभर समाज सेवा के चलते शादी नहीं की थी। उन्होंने बताया कि पूर्णा राम के दो भाई थे, दोनों का निधन हो चुका है। अपनी बहन हस्ती देवी के यहां गांव रामपुरा में पूर्णाराम ने अंतिम सांस ली थी।