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बीकानेर। कृषि विज्ञान केन्द्र बीकानेर द्वारा पोषण-सेवेदी कृषि संसाधन एवं नावोमेषण (नारी) के तहत मंगलवार बुधवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गुसाईसर गांव में असंस्थागत प्रशिक्षण एवं कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा ने कहा कि अधिक से अधिक किसान अपने घरों में ‘किचन गार्डन’ विकसित करें तथा घरों में उपयोग के लिए सब्जियां बाजार से नहीं खरीदनी पड़े, ऐसे प्रयास किए जाएं। । उन्होंने कहा कि किसान कम पानी वाली फसलें लें तथा फलों के पौधे भी लगाएं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। इसके लिए दूसरे किसानों को भी समझाया जाए। इस दौरान प्रो. शर्मा ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के लाभांवित किसानों के किचन गार्डंस का मुआयना किया। कृषक दूलाराम एवं अशोक शर्मा ने बताया कि उनके किचन गार्डन में गाजर, मटर, मूली, धनिया, पालक तथा गाजर आदि लगाए गए हैं।
प्रसार शिक्षा उपनिदेशक  प्रो. जे. पी. लखेरा ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गुसाईसर के 20 किसानों को किचन गार्डन की उपयोगिता से संबंधित प्रशिक्षण के साथ बीज एवं तकनीकी ज्ञान दिया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गांव में ‘कृषि ज्ञान संसाधन केन्द्र’ स्थापित किया गया है तथा प्रत्येक महीने के तीसरे सोमवार को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की व्यवहारिक समस्याओं के समाधान के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। किसान इसका भरपूर लाभ उठाएं।
इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डाॅ. दुर्गा सिंह, डाॅ. सुशील कुमार और डाॅ. बी. एस. मिठारवाल भी मौजूद रहे।
रावे की गतिविधियों का किया अवलोकन
प्रसार शिक्षा निदेशक ने गुसाईसर में गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सीपिरियेंस (रावे) के तहत गुसााईसर के आईटी केन्द्र में चल रही गतिविधियों का अवलोकन किया। छात्राओं द्वारा ग्रामीण महिलाओं एवं छात्राओं को कुकिंग, फ्लोवर अरेंजमेंट, वाल हैंगिंग बनाने के प्रशिक्षण सहित महिलाओं में पोषण जागरुकता आदि का मार्गदर्शन दिया जा रहा है। रावे के तहत यह कार्यक्रम 12 फरवरी को प्रारम्भ हुआ, जो छह मार्च तक चलेगा। प्रो. शर्मा ने कहा कि छात्राओं द्वारा पूरे अभियान की प्रभावी रिपोर्ट बनाई जाए।

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