











नई दिल्ली, भारत की शिक्षा नीति में 34 साल बाद बदलाव किए बुधवार को मोदी कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति में स्कूली बस्ते, प्री प्राइमरी क्लास से लेकर बोर्ड परीक्षा, रिपोर्ट कार्ड, यूजी में एडमिशन के तरीके, एमफिल की डिग्री तक बहुत कुछ बदल गया है।
केंद्र सरकार इसी साल से नई शिक्षा नीति पर अमल करने की तैयारी में है। नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को पूरी आजादी के साथ अपना भविष्य चुनने का विकल्प मिलता है।
भारत की शिक्षा व्यवस्था को अब नए सिरे से 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से गढ़ा गया है। इसके तहत स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव को भी मंजूरी दी गई है। छात्रों को अब रट्टू तोते के दौर से निकलकर ज्ञान, विज्ञान और बुद्धि-कौशल पर फोकस किया गया है।
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही शिक्षा के ढांचे को वैचारिक आधार पर बदलने का अनुमान लगाया जा रहा था। नई शिक्षा नीति के रूप में जो ढांचा सामने आया है वह व्यवहारिक नजर आ रहा है। देश में पाठ्यक्रम को मूल मुद्दों तक सीमित रखा जाएगा, इसके साथ ही ज्ञानपरक वस्तुएं और कौशल विकास को जोड़ा जाएगा।
इन छात्रों को कौशल विकास के तहत उनकी पसंद के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाएगी। इसी तर्ज पर उच्च शिक्षा में बिखरे ढांचे को एक नियामक के दायरे में लाया जा रहा है। इसके साथ ही इनके कोर्स को इस तरह तैयार किया जाएगा, जिसमें छात्र कोर्स को बीच में छोड़कर कोई दूसरा विकल्प भी चुन सकेंगे, इसमें क्रेडिट ट्रांसफर भी हो सकेगा।

 
 