उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र को टूरिज्म फ्रेंडली बनाने की कवायद शुरू
बीकानेर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से संचालित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र को टूरिज्म फ्रेंडली बनाने की नई कवायद शुरू की गई है। खासकर विदेशी पर्यटकों का ऊंटों और उनसे जुड़ी गतिविधियों को देखने तथा ऊंटनी के दूध से बने उत्पादों के प्रति खासा आकर्षण रहता है। इसे लेकर शनिवार को जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र को देखने पहुंची। केंद्र निदेशक डॉ. आरके सावल ने कलक्टर को संस्थान के अनुसंधान कार्यों एवं उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। कलक्टर वृष्णि ने बदलते परिवेश में ऊंटों की संख्या व उपादेयता पर बातचीत की। ऊंटों के संरक्षण को लेकर चल रहे प्रयासों के बारे में जाना। उन्होंने कहा कि यह संस्थान अपना विशेष महत्व रखता है। इसने राष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर को पहचान भी दिलाई है। देश और दुनिया के पर्यटक इसका अवलोकन करते हैं। इसके मद्देनजर इसे और अधिक टूरिज्म फ्रेंडली बनाया जाए। निदेशक डॉ. सावल ने बताया कि वैज्ञानिक शोध में ऊंटनी का दूध मधुमेह, टीबी, ऑटिज्म आदि रोगों के प्रबंधन में लाभकारी पाया गया है। बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। केंद्र की ओर से उष्ट्र पर्यटन विकास गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रयास है कि ऊंट पालक इससे व्यवसाय के रूप में रोजगार प्राप्त कर सकें। केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश रंजन, वैज्ञानिक डॉ. शांतनु रक्षित व पशु चिकित्सक डॉ. काशीनाथ आदि मौजूद रहे।