जिला कलक्टर के आदेश: बाल श्रम रोकने के लिए संजीदा होकर कार्य करे अधिकारी

बीकानेर, जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने बाल श्रम को रोकने के लिए अधिकारीयों को संजीदा होकर अतिरिक्त सतर्कता के साथ कार्य करने व संभावित सभी एंजेसियों का निरीक्षण करने के आदेश दिए।
गौतम मंगलवार को नगर विकास न्यास के सभागार में श्रम विभाग, अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण समिति की बैठक में बोल रहे थे। गौतम ने कहा कि बाल श्रम करवाना अपराध की श्रेणी में आता है, ऐसे में संबंधित विभाग समय-समय पर विभिन्न औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करें साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में इसका प्रचार-प्रसार भी करें कि अगर कोई व्यक्ति बाल श्रम करवाते हुए पाया गया तो बालक के परिजनों के साथ-साथ नियोक्ता के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जिला कलक्टर ने कहा कि जिले के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में इस तरह के बोर्ड लगाए जाए, जिन पर यह स्पष्ट लिखा हो कि इस आयु वर्ग के बच्चों को काम पर रखना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारिता विभाग और पुलिस , श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ नियमित रूप से भ्रमण कर सुनिश्चित करें कि किसी भी औद्योगिक क्षेत्र या होटल अथवा निजी काम में तो बच्चों को नहीं लगा रखा है। यदि ऐसा पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने कहा कि जहां भी श्रम में नियोजित बच्चे पाए जाते हैं उनके पुनर्वास के लिए परिजनों से शपथ पत्र लिया जाए कि वह अब भविष्य में अपने बच्चे को श्रम में नियोजित नहीं कराएंगे और उसका उचित पालन-पोषण भी करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों के आवास नहीं है, उन्हें किशोर गृह में रखने कीे अलग से व्यवस्था की जाए। यहां पर बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास पर कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि जिन बाल श्रमिकों को बाल श्रम से मुक्त करवाया जाता है, उनका फोलोअप भी किया जाए ताकि वे पुनः बाल मजदूरी ना कर सके।
गौतम ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड में आवासित बच्चों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे हुनर सीख कर अपना भविष्य सुरक्षित बना सके। उन्होंने कहा जिन परिवारों के बच्चे बाल श्रम कर रहे, उनका सर्वे करते हुए उन्हें राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करवाया जाए ताकि उनके परिवार का लालन-पालन हो सके।

गौतम ने निर्देश दिए कि शहर के प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग लगाकर यह आम जन को बताएं कि बाल श्रम करना अपराध है और बाल श्रम में नियोजित बच्चों के सम्बंध अगर कोई मुखबिर सूचना देता है तो उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा और सूचना सही होने तथा बाल श्रमिक मुक्त होने पर मुखबिर को राज्य सरकार द्वारा 25 हजार रुपए की राशि इनाम में दी जाती है।
गौतम ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति निवारण नियम के तहत पीड़ितों को उचित समय पर मुआवजा राशि मिल जाए। पीड़ित व्यक्ति की पैरवी के लिए अधिवक्ता समय पर नियुक्त हो उसे न्याय मिले। अनुसूचित जाति के 395 तथा अनुसूचित जनजाति के 16 पीड़ितों का लाभान्वित किया गया है।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुनीता चैधरी, उपनिदेशक सामाजिक न्याय एवं महिला अधिकारिता एल डी पंवार, संयुक्त श्रम आयुक्त संतोष प्रसाद शर्मा,श्रम कल्याण अधिकारी अब्दुल सलाम काजी, पुलिस उपाधीक्षक दीप चंद, भारत विकास परिषद के दिनेश पाण्डे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।