











खरीफ की फसल बिजान का समय लेकिन नहरों में नहीं दिया गया है सिंचाई पानी, सिंचाई पानी नहीं आने से किसानों के साथ-साथ मण्डी के व्यापार में भी आ जाएगी मंदी
खाजूवाला, इ.गा.न.प. के किसानों को इस बार सिंचाई पानी रेग्यूलेशन तय नहीं होने के कारण खरीफ की फसल से हाथ धोना पड़ सकता है। क्षेत्र के किसानों को 90 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी सिंचाई का पानी नहीं मिला है। जिसके चलते किसानों के खेत खाली पड़े है। जबकि फसल बिजान का समय चल रहा है। अब तक पिछले साल किसानों ने नरमा, कपास, ग्वार, मूँग, मोठ तथा बाजरा आदि की फसलें बिज दी थी। लेकिन इस बार पानी नहीं मिलने के कारण किसानों के खेत खाली पड़े है। जिसका बड़ा कारण यह है कि हिमाचल के कैचमेंट क्षेत्र में बारिश नहीं होने के चलते पौग डेम में लगातार जलस्तर गिर रहा है। वर्तमान स्थिति में पोंग डेम में 1300 से भी नीचे है जबकि इस क्षेत्र में पानी देने के लिए पोंग डेम में 1330 से ऊपर के लेवल का पानी होना चाहिए। जिसके चलते सरकार ने अभी तक सिंचाई पानी का रेग्यूलेशन भी नहीं बनाया गया है। वहीं 4 जून बीबीएमबी की बैठक में जून माह में पेयजल पानी मिलना ही तय हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार 7 मार्च के बाद अब तक किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिला है। 68 दिनों की नहर बंदी के बाद 28 मई से क्षेत्र के किसानों को 7200 क्युसैक पेयजल पानी मिला था। जो इस समय 6000 क्युसैक पानी ही चल रहा है। वहीं 10 जून के बाद सिर्फ 4000 क्यूसेक पानी ही चलेगा जो सारा पेयजल पानी है मिलेगा। 7 मार्च के बाद फसलों को अब किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला है। ऐसे में क्षेत्र में होने वाली फसल पर बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है। अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई तो इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में पानी के लिए भी बड़ा हाहाकार भी पैदा हो सकता है। इ.गा.न.प. में किसानों को आगामी दिनों में सिंचाई पानी नहीं मिला तो क्षेत्र में खरीफ की फसलों की बुवाई नहीं हो पाएगी। वहीं इस क्षेत्र के किसान सिर्फ नहरी पानी पर ही आश्रित है यहां के धरती तल का पानी खारा होने के कारण किसानों को ट्यूबवेल का फायदा भी नहीं मिल पा रहा है। सिंचाई पानी नहीं मिलने के कारण दूसरी ओर पशुओं के लिए भी संकट पैदा हो गया है। पेयजल पानी से मात्र पीने का पानी ही भंडारण हो पाता है। ऐसे मे किसान खेत में पशुओं के लिए हरा-चारा भी नहीं बिजान कर सकता है।
किसान निहालाराम बिश्नोई ने बताया कि सिंचाई पानी का रेग्यूलेशन नहीं बना है। जिसके चलते किसानों के खेत खाली है। वहीं विभाग द्वारा इस पेयजल पानी को खेतों में लगाने से भी मना किया गया है। जिसके चलते किसान पशुओं के लिए हरा-चारा भी नहीं बिज सकते है। जिसके चलते पशुपालकों द्वारा पशुओं को पालना भी मुश्किल हो रहा है। 90 दिन से अधिक का समय बित जाने के कारण सिंचाई पानी खेतों में नहीं पहुंचने के चलते खेत बंजर होने लगे हैं। पूरा क्षेत्र वीरान पड़ा है। अगर फसलें नहीं हुई तो इस क्षेत्र के किसानों कों आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह पूरा क्षेत्र कृषि पर आधारित है। अगर किसान के फसल ही नहीं होगी तो खाजूवाला का बाजार भी इस से प्रभावित होगा।
वर्जन
हिमाचल के कैचमेंट एरिया में बारिश नहीं होने के चलते पोंग डैम का जलस्तर निरंतर गिर रहा है। अब पोंग डैम में 1292.90 फीट पानी है, जो पिछले साल 1341 फीट था। इसी तरह भाखड़ा में अब 1507 फिट पानी है। जो पिछले साल आज के दिन 1560 फीट पानी था। पिछले साल की तुलना में 50-50 फिट पानी कम है। बारिश नहीं हो रही है, ऐसे में सिंचाई पानी मिलना नामुमकिन है। जल्द बारिश होती है तो बीबीएमबी मीटिंग करके सिंचाई पानी रेगुलेशन तय करेगी।
रामसिंह, अधीक्षण अभियन्ता, जल संसाधन खण्ड छतरगढ़/विजयनगर
वर्जन
खाजूवाला क्षेत्र में इस बार सिंचाई पानी का रेग्यूलेशन नहीं बनने के कारण क्षेत्र के किसान खरीफ फसल से वंचित हो गए है। जबकि इससे पूर्व समय में इसी माह माह में किसानों के खेतों में हरियाली लह-लहाती थी। इस बार भी सरकार को जल्द से जल्द सिंचाई पानी की व्यवस्था कर नहरों में पर्याप्त पानी चलाना चाहिए। अगर क्षेत्र की नहरों में पानी नहीं आता है तो इस क्षेत्र में एक बार फिर से बड़ा आन्दोलन हो सकता है।
डॉ विश्वनाथ मेघवाल, पूर्व विधायक, खाजूवाला
वर्जन
क्षेत्र की नहरों में एक सिंचाई पानी भी अगर आ जाए तो क्षेत्र की कृषि मण्डियां बच सकती है। अन्यथा इस क्षेत्र के खेत विरान होने से मण्डियों में भी व्यापार भी ठप हो जाएगा। इस सम्बन्ध में सरकार से निवेदन भी किया गया है कि क्षेत्र की नहरों में जल्द से जल्द सिंचाई पानी दिया जाए।
मोहनलाल सिहाग, अध्यक्ष, खाजूवाला खाद्य व्यापार संघ, खाजूवाला

 
 