बीकानेर, राजस्थान में कोरोनावायरस से चुरू सहित कई स्थानों पर चमगादड़ो को मारने और भगाने की घटनाओं को देखते हुए अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिंदर तोमर ने मुख्य वन संरक्षकों को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा की कोविड 19 की महामारी के दौरान चमगादडों को इस बीमारी के लिए जिम्मेदार बताया गया है जिसके कारण आम जनता में चमगादड़ के प्रति प्रतिशोध की भावना बनी है। कुछ स्थानों पर जनता चमगादडों को हटाने भगाने में लगी हुई है। चमगादड़ प्रकृति में परागकण बीज संवाहक एवं एवं अन्य कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं । इस प्रकार का प्रमाणित शोध भी अभी तक नहीं हुआ है जिसमें चमगादड़ को कोरोनावायरस का कारण माना गया हो । ऐसी परिस्थितियों में चमगादडों के विरुद्ध फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए समझाइश की जाए। चमगादड़ को मारने भगाने इत्यादि का कोई प्रकरण सामने आता है तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाए। बीकानेर के सीसीएफ एमके अग्रवाल ने बताया की इस पत्र की प्रति विभाग के सभी कार्यालयों में फॉरवर्ड कर दी गई है। फिलहाल ऐसा कोई समाचार बीकानेर में नहीं है।
बोहरा-चमगादड़ नुकसान नहीं पहुंचता
चमगादडों पर रिसर्च कर रहे वन्यजीव विशेषज्ञ दाऊ लाल बोहरा बताते हैं कि राजस्थान में चमगादडों की 25 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें तीन फल व 22 कीट खाने वाली प्रजाति है। मुख्य रूप से चमगादड़ तिलचट्टे ,मेंढक, मक्खि और मच्छरों को खाते हैं। एक चमगादड़ 1 दिन में 1200 से 1400 से मच्छर और कीट पतंगे खा जाते हैं। इन्हें खाकर मलेरिया, टाइफाइड ,डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलने से रोकते हैं। चमगादड़ उनको खाकर फसलों के लिए जैविक कीटनाशक का काम करते हैं।